सावन महीने की शुरुआत 11 जुलाई से हो रही है। हिंदू धर्म में सावन महीने को सबसे पवित्र माह माना जाता है। पूरे सावन महीने में लय और प्रलय को एक साथ साध लेने वाले महादेव की पूजा होती है। सावन का महीना शिव जी को बहुत प्रिय है। सावन के पहले दिन से ही कांवड़ यात्राएं भी शुरू हो जाती हैं। हरियाणा में लाखों शिवभक्त कांवड़ लेने हरिद्वार जाएंगे। हरिद्वार या दूसरे पवित्र तीर्थ स्थल से गंगाजल लाकर शिव जी का अभिषेक करने वाला पहला कांवड़िया कौन था, इसके बारे में भिन्न भिन्न मिथक हैं।
कुछ लोग मानते हैं कि परशुराम सबसे पहले कांवड़िया थे। उन्होंने ही गढ़मुक्तेश्वर से गंगा जल लाकर बागपत स्थित पुरा महादेव का अभिषेक किया था। गढ़मुक्तेश्वर का वर्तमान नाम ब्रजघाट है। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो श्रवण कुमार को पहला कांवड़िया मानते हैं। कहा जाता है कि श्रवण कुमार जब अपने माता-पिता को तीर्थयात्रा कराने के क्रम में ऊना (हिमाचल प्रदेश) में थे, तो उनके मां-पिता ने हरिद्वार में गंगा स्नान की इच्छा प्रकट की। तब श्रवण कुमार हरिद्वार पहुंचे थे और वहां से गंगाजल भर कर लाए थे।
रामभक्तों का मानना है कि भगवान राम ने झारखंड के सुल्तानगंज से गंगाजल लाकर बाबा बैजनाथ का अभिषेक किया था। प्रथम कांवड़िया वही थे। रावण और देवताओं को भी प्रथम कांवड़िया मानने वाले भी कम नहीं हैं। समुद्र मंथन के बाद विष पीने से जब शिवजी पर विष का नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगा, तो रावण ने गंगाजल लाकर पुरा महादेव स्थित मंदिर में जलाभिषेक किया था। इसी प्रसंग में देवताओं के भी गंगाजल से अभिषेक करने की मान्यता है। आगामी 11 जुलाई से शुरू हो रही कांवड़ यात्रा को लेकर हरियाणा सरकार ने भी तैयारियां शुरू कर दी हैं।
सरकार ने कांवड़ लाने वाले शिव भक्तों के लिए कुछ एडवायजरी जारी की है। सबसे पहली बात तो यह है कि कांवड़ यात्रियों को अपने पास अपनी आईडी जरूर रखनी चाहिए। यदि किसी कारणवश कोई दुर्घटना हो जाती है, तो उनकी पहचान आसानी से की जा सकती है, उनके परिजनों को तत्काल सूचना दी जा सकती है। इसके साथ-साथ शिवभक्तों से अपील की गई है कि वह राह चलते समय तेज आवाज में डीजे न बजाएं। इससे लोगों को काफी परेशानी हो सकती है।
कांवड़ यात्रा पर जाने वाले लोग किसी प्रकार का हथियार लेकर न चलें। वह धर्मयात्रा पर निकले हैं किसी युद्ध यात्रा पर नहीं। धर्म के कार्य में किसी प्रकार के हथियार की क्या जरूरत है। रात में या दिन में शिवभक्तों को जब विश्राम करना हो, तो वह सड़क या सड़क किनारे रुकने की जगह रैनबसेरों या जहां सरकार ने व्यवस्था की है, वहां विश्राम करें।
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