Sunday, July 20, 2025

महाराज! समुद्र भी आपका आदेश मानता है

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

इंग्लैंड के किंग कैन्यूट का जन्म डेनमार्क में सन 985 से 995 के बीच किसी वर्ष में हुआ था। उसके जन्म की वास्तविक तिथि का विवरण शायद उपलब्ध नहीं है। लेकिन उसकी मृत्यु की तिथि 12 नवंबर 1035 बताई जाती है। कैन्यूट के पिता डेनिस राजकुमार  स्वेन 'फोर्कबियर्ड' 1013 में इंग्लैंड के राजा बने थे। उनकी मृत्यु के बाद कैन्यूट को सन 1016 में इंग्लैड का राजा बनाया गया था। 

उत्तरी यूरोप के राज्यों पर विजय प्राप्त करने तथा इंग्लैंड, डेनमार्क, नॉर्वे और स्वीडन के क्षेत्रों का राजा बनने के लिए कैन्यूट को याद किया जाता है। कैन्यूट के बारे में सबसे पहले हंटिंगडन के हेनरी ने बारहवीं शताब्दी में पुस्तक क्रॉनिकल आॅफ द हिस्ट्री आॅफ इंग्लैंड में एक घटना दर्ज की थी। इस कहानी का नाम है कैन्यूट एंड द वेव्स। इसके मुताबिक कैन्यूट के दरबार में एक बार चापलूस लोगों की भरमार हो गई थी। दरबारी राजा की चापलूसी करते थे और ईनाम में खूब धन के साथ-साथ ओहदा पाते थे। 

एक दिन एक दरबारी ने तो यहां तक कहा कि हुजूर, आपका पूरी दुनिया में इतना आतंक है कि समुद्र भी आपका कहा मानते हैं। कैन्यूट प्रसन्न हो गए। यह बात घूम-फिरकर कैन्यूट के गुरु के पास पहुंची, तो गुरु ने राजा को एक पत्र लिखते हुए कहा कि तुम इन चापलूसों से बचकर रहो। एक दिन तुम्हारे और तुम्हारे राज्य के लिए यह बड़ा खतरा बन जाएंगे। पत्र पढ़कर कैन्यूट की आंखें खुल गई। 

दूसरे दिन उस चापलूस दरबारी को लेकर वह समुद्र की ओर गए। वह दरबारी अब भी प्रशंसा किए जा रहा था। समुद्र के किनारे पहुंचने पर राजा ने दराबारी से कहा कि वह समुद्र में कूद जाए, जब डूबने लगेगा तो मैं समुद्र को आदेश दे दूंगा, तुम नहीं डूबोगे। यह सुनकर दरबारी पानी-पानी हो गया। तब कैन्यूट ने कहा कि आज के बाद तुम दरबार में दिखाई मत देना, वरना फांसी दे दंूगा। इस प्रकार राजा को चापलूसों से मुक्ति मिल गई।

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