हरियाणा में यमुना और घग्गर नदी सबसे ज्यादा प्रदूषित है। काफी प्रयास करने के बाद भी यमुना और घग्गर को प्रदूषण मुक्त नहीं किया जा सका है। इसमें सबसे बड़ी बाधा हैं वे उद्योग जो अपने अपशिष्ट को संशोधित नहीं करते हैं। अपने उद्योगों से निकला अपशिष्ट यमुना या घग्गर में सीधा प्रवाहित कर रहे हैं जिसकी वजह से इन नदियों के पानी को साफ करने के लिए लगे अपशिष्ट उपचार संयंत्र (ईटीपी) विफल हो रहे हैं। प्रदेश में ऐसे तीन हजार से अधिक उद्योग हैं जो जल प्रदूषणकारी उद्योगों की श्रेणी में आते हैं।
सरकार ने इन उद्योगों को कई बार चेतावनी दी, लेकिन प्रदेश की तीन हजार से अधिक जल प्रदूषणकारी उद्योगों ने सरकार की बात नहीं सुनी। अब सैनी सरकार ने इन उद्योगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की इजाजत अधिकारियों को दे दी है। हालांकि हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने विभिन्न उद्योगों में लगे अपशिष्ट उपचार संयंत्रों की गुणवत्ता और प्रदर्शन की जांच के लिए जिला स्तरीय टास्क फोर्स और आरआरसी के अधिकारियों को निर्देश दे रखा है। इसके बावजूद यमुना और घग्गर नदी को प्रदूषण मुक्त करने में सफलता नहीं मिल पा रही है। वैसे तो प्रदेश सरकार ने इन उद्योगों के लिए आनलाइन निगरानी प्रणाली स्थापित करना अनिवार्य कर दिया है।
इसके बावजूद हजारों उद्योग इस मामले में लापरवाही बरत रहे हैं। सरकार ने अब इन उद्योगों के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए निर्देश दिया है कि प्रत्येक उद्योग के ईटीपी पर निगरानी रखी जाएगी। हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यमुना नदी में गिरने वाले 11 नालों की गुणवत्ता की जांच कर रहा है। वर्ष 2024-25 में यमुना जलग्रहण क्षेत्र में आने वाले शहरों में लगे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की जांच की गई थी। इसका नतीजा यह निकला कि 240 एमएलडी क्षमता वाले 12 ट्रीटमेंट प्लांट कई मानकों पर खरे नहीं उतरे।
हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मिली जानकारी के अनुसार यमुना जल ग्रहण क्षेत्र में 1518 एमएलडी क्षमता वाले 90 एसटीपी काम कर रहे थे। वहीं यमुना नदी के जलग्रहण क्षेत्र में स्थित 34 शहरों से निकलने वाले सीवेज की अनुमानित मात्रा 1239 एलएमडी थी। इसका यही मतलब निकलता है कि इन 34 शहरों के लिए 90 एसटीपी पर्याप्त थे, इसके बावजूद यदि यमुना और घग्गर नदियों का पानी प्रदूषित हो रहा है, तो इस क्षेत्र में संचालित एसटीपी अपनी क्षमता के मुताबिक काम नहीं कर रहे हैं। यमुना और घग्गर नदी के प्रदूषित होने की वजह से इसके जल का उपयोग करने वाले लोग कई तरह की बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। फसल की सिंचाई करने पर अनाज भी संक्रमित हो रहा है।
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