Wednesday, July 16, 2025

समाज और परिवार के प्रति संवेदनहीन होते जा रहे युवा

अशोक मिश्र

हरियाणा में युवाओं की अराजकता और दबंगई दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। फरीदाबाद में कैंटर चालक से मारपीट कर रहे युवाओं को समझाना एक युवक को भारी पड़ गया। युवकों ने बुजुर्ग के ऊपर गाड़ी चढ़ाकर उसकी टांग तोड़ दी। इतना ही नहीं, जब उसकी बेटी उन युवकों को समझाने-बुझाने आई, तो उन्होंने उस पर भी गाड़ी चढ़ाने की कोशिश की, लेकिन वह किसी तरह बच गई। बुजुर्ग अस्पताल में अपना इलाज करवा रहा है। पिछले कुछ दशक से युवा लगातार उग्र होते जा रहे हैं। वह थोड़ी-थोड़ी बातों पर उत्तेजित हो जा रहे हैं। 

इसके कई कारण हो सकते हैं। कुछ युवाओं को अपना और अपने माता-पिता का सामाजिक-आर्थिक स्टेटस उन्हें लापरवाह और अहंकारी बना देता है। अमीर और उच्च पदों पर तैनात लोगों के लड़के, भाई आदि अपने को कानून से ऊपर समझ लेते हैं। उन्हें इस बात का विश्वास होता है कि यदि कुछ हुआ, तो उनके परिजन उन्हें अवश्य बचा लेंगे। अपने परिजनों के रौब, रुतबे का नाजायज फायदा उठाने वाले लड़के किसी को कुछ नहीं समझते हैं। कुछ परिवार अपने बच्चों को समय ही नहीं दे पाते हैं। 

माता-पिता दोनों काम करते हैं। दोनों अपने में ही व्यस्त रहते हैं। ऐसी दशा में उनके पास अपने बच्चों या परिवार के दूसरे बच्चों के लिए समय ही नहीं होता है। ऐसी स्थिति में अकेलेपन का शिकार होने वाले बच्चे फ्रस्टेट होने लगते हैं। उनके मन में एक आक्रोश पनपने लगता है। परिवार के प्रति, समाज के प्रति। ऐसी स्थिति में वह परिवार और समाज के प्रति असंवेदनहीन हो जाते हैं। उन्हें किसी की कोई फिक्र नहीं रह जाती है। ऐसे युवा जब घर से बाहर होते हैं, तो वह अपनी कुंठा सामने वाले पर उतारने लगते हैं। युवाओं के उग्र व्यवहार के पीछे लगातार घटते रोजगार और नौकरियों के कम होते अवसर भी है। 

प्रदेश में बेरोजगार युवाओं की एक लंबी चौड़ी फौज तैयार है। उन्हें काम नहीं मिल रहा है। वह काम न मिलने की वजह से परेशान हैं। ऐसी स्थिति में वह आजिज आकर अपराध का रास्ता अख्तियार कर रहे हैं। घर में बेकार बैठने की वजह से कलह भी होती है। बेरोजगार युवाओं को घर-परिवार और समाज के लोग ताने मारते हैं। दूसरे लोगों से तुलना की जाती है, युवाओं के उग्र होने का एक कारण यह भी है। यह सभी कारण मिलकर युवाओं को उग्र बना रहे हैं। यदि इन कारणों को दूर कर दिया जाए, तो निश्चित रूप से युवा शक्ति का उपयोग देश और प्रदेश हित में किया जा सकता है। इसके लिए सबको मिलकर सामूहिक रूप से प्रयास करना होगा। यह काम अकेले न तो सरकार कर सकती है, न कोई संस्था। समाज के जागरूक लोगों को ही आगे आना होगा।

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