Monday, July 14, 2025

स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

बाल गंगाधर तिलक यानी लोकमान्य तिलक नाम तो एक ही व्यक्ति का था, लेकिन इस व्यक्ति के किरदार ढेर सारे थे। वह एक शिक्षक थे, उच्चकोटि के वकील थे, स्वाधीनता संग्राम सेनानी और समाज सुधारक भी थे। लोकमान्य का जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में हुआ था।उन्होंने मराठी और अंग्रेजी में दो पत्रिकाएं भी निकाली थी। 

अपनी पत्रिकाओं में उन्होंने अंग्रेजी शासन की क्रूरता का विशद वर्णन किया जिसकी वजह से अंग्रेज उन्हें अशांति का पिता कहते थे। अंग्रेजी शासन की क्रूरता के बारे में प्रकाशित करने पर अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और छह साल की सजा सुनाकर माडले जेल भेज दिया। सन 1890 में उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की, लेकिन वह कांग्रेस की कई नीतियों से सहमत नहीं थे। 

वह कांग्रेस में रहते हुए भी गरम दल के नेता थे। कांग्रेस में गरम दल के नेताओं में बाल गंगाधर तिलक, विपिन चंद्र पाल और लाला लाजपत राय प्रमुख थे। 1908 में लोकमान्य तिलक ने क्रान्तिकारी प्रफुल्ल चाकी और क्रान्तिकारी खुदीराम बोस के बम हमले का समर्थन किया जिससे अहिंसावादी महात्मा गांधी और उनके समर्थक नाराज हो गए। लोकमान्य तिलक ने ही ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे लेकर ही रहूँगा’ का नारा दिया था। 

छह साल की सजा पूरी होने से कुछ समय पहले ही लोकमान्य की पत्नी का देहावसान हो गया। यह सूचना भी उन्हें पत्र से जेल में मिली। बाद में गरम दल के नेता तिलक इतने नरम हो गए कि उन्होंने कई मामलों में महात्मा गांधी का पक्ष लिया। 1 अगस्त 1920 में मुंबई में लोकमान्य तिलक का निधन हो गया। महात्मा गांधी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए आधुनिक भारत का जनक कहा, तो नेहरू ने भारतीय क्रान्ति का जनक बतलाया।

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