Thursday, July 3, 2025

अपनी रुचि के हिसाब से हुनर निखार सकेंगे हरियाणा के नौनिहाल

अशोक मिश्र

स्कूलों से ड्रॉपआउट का मुख्य कारण विद्यार्थी के परिवार की आर्थिक स्थिति से जोड़ा जाता है। इसके साथ-साथ शिक्षा के प्रति अभिभावकों की अरुचि भी विद्यार्थियों के ड्रॉपआउट का एक कारण है। जिन विद्यार्थियों के माता-पिता खुद अशिक्षित हों, ऐसी स्थिति में बच्चों के ड्रॉपआउट की  आशंका कुछ बढ़ जाती है। वैसे ड्रॉपआउट का एक कारण यह भी हो सकता है कि विद्यार्थी के रुचि के अनुसार स्कूल में न पढ़ाया जा रहा हो या उन विषयों में उन्हें पढ़ने को बाध्य किया जा रहा है जिसमें उनकी रुचि ही नहीं है। 

विद्यार्थी की रुचि इतिहास पढ़ने में है, लेकिन उसके अभिभावकों या अध्यापकों ने साइंस या कॉमर्स पढ़ने के लिए मजबूर कर दिया है। ऐसी स्थिति में स्वाभाविक है कि विद्यार्थी अपनी प्रतिभा का पूर्ण प्रदर्शन नहीं कर पाएगा। हरियाणा की सैनी सरकार ने अब बच्चों की रुचि का ध्यान रखते हुए उनकी प्रतिभा को निखारने का फैसला किया है। प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बच्चों को अब उनकी रुचि के अनुसार विभिन्न विषयों में शिक्षा दी जाएगी। वर्ष 2025-26 के शैक्षणिक सत्र से सरकारी स्कूलों के बच्चों को  कौशल आधारित व्यावसायिक कोर्स पढ़ाया जाएगा। सरकारी स्कूलों में अब व्यावसायिक शिक्षा, योग, नैतिक शिक्षा के साथ-साथ श्रमदान की शिक्षा दी जाएगी। 

इन विषयों की शिक्षा देने से पहले विद्यार्थी की रुचि पूछी जाएगी, जिन विषयों में वह अच्छा कर सकता है, उन्हीं विषयों में उसे आगे बढ़ाया जाएगा। इस नए प्रयोग की शुरुआत छठवीं से लेकर आठवीं कक्षा के बच्चों से की जाएगी। स्कूल की पहले से चल रहे पाठ्यक्रम के अलावा सप्ताह में पांच दिन चालीस मिनट का एक अतिरिक्त सत्र चलाया जाएगा जिसमें इस तरह की शिक्षा दी जाएगी। 

इससे उम्मीद की जानी चाहिए कि बच्चों का स्कूल से कुछ प्रतिशत ड्रॉपआउट रुकेगा। वैसे भी सैनी सरकार ने इस साल की शुरुआत से ही सरकारी स्कूलों में शून्य ड्रापआउट लक्ष्य रखा है। पूरे प्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में स्कूल छोड़ देने वाले 34 हजार बच्चों को दोबारा स्कूल की चौखट तक लाने की भी कोशिश की जा रही है। हरियाणा सरकार ने 2025-26 के शैक्षणिक सत्र में ‘हर बच्चे को स्कूल वापस लाना’ और राज्य को ‘जीरो ड्रॉपआउट’ बनाने के लक्ष्य के साथ यह अभियान शुरू किया है। 

वैसे ड्रॉपआउट बच्चों को वापस स्कूल तक लाना बहुत कठिन होता है। जो बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं, वह छोटे-मोटे कामों में लग जाते हैं। वह अपने परिवार की थोड़ी बहुत मदद करने लगते हैं। ऐसी स्थिति में उनका भले ही थोड़ी कमाई हो, उसे छोड़कर दोबारा कापी, कलम और किताब पकड़ना उनके लिए आसान नहीं होता है। 

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