Sunday, July 20, 2025

तमाम दावों के बावजूद स्वच्छ सर्वेक्षण में हरियाणा रहा खाली हाथ

अशोक मिश्र

स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 में हरियाणा की हालत पिछली बार की ही तरह बदतर रही। वर्ष 2023 के सर्वेक्षण में हरियाण देशभर में चौदहवें स्थान पर आया था। सभी शहरों की रैकिंग टॉप-100 से बाहर थी। इस बार भी हालत थोड़े बहुत रद्दोबदल के साथ वैसी ही रही। फरीदाबाद की हालत तो सबसे बदतर रही।  स्वच्छता सर्वेक्षण-2025 की रिपोर्ट में फरीदाबाद को गार्बेज फ्री सिटी (जीएफसी) में शून्य अंक मिले हैं। वैसे तो कचरा मुक्त शहर (गारबेज फ्री सिटी) स्टार रेटिंग के लिए प्रदेश के ग्यारह में से दस नगर निगमों (मानेसर को छोड़कर) ने आवेदन किया था। लेकिन कोई भी मानकों पर खरा उतर नहीं पाया। 

यह स्थिति सभी नगर निगमों के लिए चिंताजनक होनी चाहिए। उन्हें इस पर विचार करना चाहिए कि  उनकी किन कमियों के चलते प्रदेश को स्वच्च सर्वेक्षण में अन्य प्रदेशों के नगर निगमों के सामने शर्मिंदा होना पड़ा। अभी से उन कमियों को दूर करके आगामी स्वच्छ सर्वेक्षण में स्थान हासिल करके प्रदेश का नाम रोशन किया जा सकता है। प्रदेश के अधिकारियों को इंदौर जाकर वहां की कार्यप्रणाली का अध्ययन करना चाहिए। इंदौर सहित मध्य प्रदेश के कुछ शहर पिछले कई वर्षों से इस मामले में अच्छा प्रदर्शन करते आए हैं। यदि किसी से हमें कुछ सीखने को मिलता है, तो इसमें किसी प्रकार की बुराई नहीं है। 

हमें अपनी गलतियों को स्वीकार करके आगे बढ़ना सीखना होगा। जब तक हमारी सोच ऐसी नहीं होगी, तब तक हम कुछ नहीं कर पाएंगे। जब भी प्रदेश में स्वच्छता के मामले में कोई बात चलती है, तो सरकार से लेकर प्रशासनिक मशीनरी दावा करती है कि सब कुछ चाक चौबंद है। लगातार साफ-सफाई के दावे और प्रयासों के बावजूद कचरा प्रबंधन में निगमों का बुरी तरह फेल हो जाना बताता है कि इस मामले में सब कुछ हवा हवाई ही रहा। दावे तो बहुत किए गए, लेकिन दावों के मुताबिक प्रयास नहीं किए गए। स्वच्छ सर्वेक्षण में जिन शहरों को जो रेटिंग मिली है, उसके मुताबिक ही पूरी जी जान लगाकर मेहनत करनी होगी। जब तक ऐसा नहीं किया जाएगा, तब तक हालात नहीं सुधरने वाले हैं।

वैसे तो प्रदेश की हालत यह है कि तमाम दावों के बावजूद हालत यह है कि किसी भी जिले की सड़कों पर घूम आइए, सड़कों के किनारे कूड़े के ढेर देखने को मिल जाएंगे। कई दिनों तक कूड़ा ही नहीं उठाया जाता है। कुछ जगहों पर स्थानीय निकाय के कर्मचारी कूड़े को जलाते हुए भी पाए गए हैं। घरों से रोज कूड़ा भी इकट्ठा नहीं किया जाता है जिसकी वजह से सड़कों पर इधर उधर बिखरा कूड़ा सड़ता रहता है। इसके लिए प्रदेशवासी भी पूरी तरह जिम्मेदार हैं। शहरों के गंदे होने में उनकी भी भूमिका है।



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