अब हरियाणा में किसी की जमीन पर दूसरा कोई कब्जा नहीं कर पाएगा। उसे धोखाधड़ी करके बेचना भी अब संभव नहीं होगा। जमीन से जुड़े मामले में किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार कम से कम अब हरियाणा में संभव नहीं होगा। इसका कारण यह है कि हरियाणा में राजस्व रिकार्ड अब आॅनलाइन हो गए हैं। 163 साल पुराने जमीन के दस्तावेजों का डिजिटलीकरण किया जा चुका है। बस, केवल दस प्रतिशत दस्तावेजों का काम बाकी है जिसके एक पखवाड़े में पूरा हो जाने की उम्मीद है। वैसे जमीनी दस्तावेजों को डिजिटल करने का विचार पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के मन में वर्ष 2017 में आया था।
उन्होंने राजस्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को यह कठिन काम सौंपा था। 163 साल पुराने जमीनी दस्तावेजों का अनुवाद करना, उन्हें क्रमबद्ध करना और फिर उसको स्कैन करके कोडिंग करना आसान काम नहीं था। सौ साल से भी अधिक पुराने ज्यादातर दस्तावेज उर्दू में थे जिनका अनुवाद भी आसान नहीं था। लेकिन सरकार का दृढ़ संकल्प और अधिकारियों-कर्मचारियों की कार्यकुशलता से यह कठिन काम आठ साल में ही पूरा हो गया। जमीनी दस्तावेजों का डिजिटलीकरण करने का मकसद एक तो उन्हें सुरक्षित रखना था, वहीं भ्रष्टाचार को रोकना भी अहम उद्देश्य था।
बरसों से फटे-पुराने रिकार्ड को सहेजने में भी काफी परेशानी होती थी। यदि इनमें से कोई रिकार्ड खराब हो जाता, तो उसे दोबारा बनाने में काफी दिक्कत होती। राजस्व रिकार्ड किसी भी संपत्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण दस्तावेज माना जाता है। जमीन की फर्द, इंतकाल, जमाबंदी, रजिस्ट्री जैसे तमाम काम राजस्व रिकार्ड का ही हिस्सा है। हरियाणा में 2691 पटवार सर्किल हैं। इसके बाद कानूनगो सर्किल आता है। प्रदेश में कुल 256 कानूनगो सर्किल हैं। एक पूरी तहसील के अंतर्गत आने वाले गांवों-कस्बों का यहां पर रिकार्ड रखा जाता है। हरियाणा में 49 सब तहसील और 93 तहसीलें हैं। हरियाणा देश का पहला राज्य है जिसने अपने राजस्व रिकॉर्ड का नब्बे प्रतिशत हिस्सा डिजिटल कर लिया है।
डिजिटलीकरण का फायदा छोटे किसान, गरीब परिवारों से लेकर बड़े उद्योगपतियों को मिलेगा। जमीन का हर टुकड़ा सरकारी रिकार्ड में दर्ज रहेगा जिससे कोई दूसरा उससे छेड़छाड़ भी नहीं कर पाएगा। हरियाणा सरकार का यह फैसला लोकहित में है। गांव के किसान अब किसी भी तरह के जमीनी विवाद पैदा होने पर आॅनलाइन दस्तावेज निकाल सकेंगे, उसका उपयोग कर सकेंगे। इससे पहले सदियों और दशकों पुराने ऐतिहासिक दस्तावेज और अभिलेखों को प्राप्त करने के लिए संपत्ति मालिकों को काफी परेशानी उठानी पड़ती थी।
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