हरियाणा में प्राचीनकाल की सभ्यताओं के भरपूर अवशेष मिले हैं। कुछ नए स्थल भी मिले हैं। प्राचीनकाल के ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थलों के संरक्षण का काम हरियाणा सरकार कर रही है। हरियाणा की कुछ प्राचीन विरासतों को संरक्षित करने का काम पूर्ववर्ती सरकारें कर चुकी हैं। कुछ प्राचीन विरासत को संरक्षित करने का काम सैनी सरकार कर रही है। सैनी सरकार ने 18वीं शताब्दी में निर्मित मुकुंदपुरा और नागपुरिया की बावड़ियों और दादरी में स्थित श्यामसर तालाब को संरक्षित करने का फैसला लिया है।
इतिहास बताता है कि श्यामसर तालाब का निर्माण सत्रहवीं शताब्दी में सीताराम सेठ ने कराया था। सीताराम उन दिनों मुगल बादशाह के कोषाध्यक्ष के सहायक थे। दादरी में उन दिनों पानी की समस्या से लोगों को काफी जूझना पड़ता था। लोगों को पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए उन्होंने श्यामसर का निर्माण कराया था। चालीस फीट गहरे तालाब को बनाने में कलियाना की पहाड़ी के नीले और भूरे पत्थरों का उपयोग किया गया था। उचित देखरेख के अभाव में यह तालाब अपना स्वरूप खो रहा था, इसलिए सैनी सरकार ने इसे संरक्षित करने का फैसला किया है। जहां तक मुकुंदपुरा की बावड़ी की बात है।
इसका निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां के अधीन काम करने वाले जमींदार राव बाल मुकुंद दास ने कराया था। वह इस इलाके के काफी अमीर जमींदार थे। यह बावड़ी इस्लामी और हिंदू स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना थी। लेकिन समय के प्रभाव के चलते यह अपना सौंदर्य खो चुकी है। इस बावड़ी से न केवल लोगों की प्यास बुझती थी बल्कि आसपास के किसानों के खेतों की प्यास भी यह बावड़ी बुझाती थी। कई सौ साल तक इलाके के लोग अपनी खेती के लिए इसी बावड़ी पर निर्भर रहे। भारतीय वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है नागपुरिया बावड़ी। इस बावड़ी के पानी में सल्फर अधिक मात्रा में पाया जाता है।
इसका पानी त्वचा रोगों के उपचार में बहुत काम आता रहा है। आज भी लोग त्वचा संबंधी रोगों के उपचार के लिए यहां का पानी उपयोग में लाते हैं। इन प्राचीन धरोहरों के संरक्षण का फैसला सराहनीय है। वैसे हरियाणा की संरक्षित विरासत में कई ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थल शामिल हैं। इनमें राखीगढ़ी, मिताथल, विभिन्न किले, मकबरे और हवेलियाँ शामिल हैं। ये स्थल राज्य के समृद्ध इतिहास और संस्कृति को दर्शाते हैं। हरियाणा में कई किले और मकबरे हैं, जैसे कि नारनौल का किला, शेख मूसा की दरगाह और झूलती मीनार, और चौधरी काशी राम की हवेली। यहां छत्ता राय बाल मुकुंद दास की हवेली, बीरबल का छत्ता, और मिर्जा अली जान की बावली जैसी हवेलियाँ भी हैं।
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