अशोक मिश्र
लुंबिनी में 563 ईस्वी पूर्व पैदा होने वाली गौतम बुद्ध के संबंध में तमाम कहानियां कही जाती हैं। वह शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। महात्मा बुद्ध के जन्म के सात दिन बाद उनकी मां महामाया की मौत हो गई थी। ऐसी स्थिति में बुद्ध का पालन-पोषण उनकी मौसी महाप्रजापति गौतमी ने किया था।
29 साल की अवस्था में महात्मा बुद्ध अपने नवजात पुत्र राहुल और पत्नी यशोधरा को छोड़कर सत्य की खोज में निकल पड़े थे। काफी प्रयास के बाद उन्हें बोध गया में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई। उन्होंने अपना सारा जीवन मानव कल्याण में लगा दिया। एक दिन की बात है। वह अपने शिष्यों की सभा में जब पहुंचे तो उनके हाथ में कपड़े का एक टुकड़ा था।
आमतौर पर महात्मा बुद्ध अपने साथ कुछ लेकर नहीं चलते थे। किसी वस्तु का संग्रह करना उनके स्वभाव या सिद्धांत में नहीं था। यह देखकर शिष्यों को आश्चर्य तो हुआ, लेकिन वह चुप रहे। बुद्ध ने उस कपड़े में तीन-चार जगह गांठ लगा दी। इसके बाद बुद्ध ने अपने शिष्यों से पूछा कि यह कपड़ा क्या पहले जैसा है? एक शिष्य ने खड़े होकर जवाब दिया कि कपड़ा तो वही है, उसके गुण में कोई बदलाव नहीं आया है, लेकिन उसका स्वरूप बदल गया है।
यह सुनकर बुद्ध ने कपड़े का दोनों सिरा पकड़कर खींचना शुरू किया और पूछा कि क्या इससे गांठें खुल जाएंगी? शिष्य ने कहा कि इससे और गांठें कस जाएंगी। सबसे पहले हमें यह देखना होगा कि गांठें किस प्रकार लगी हैं। फिर उसे खोलना आसान होगा। बुद्ध ने कहा कि यही मैं आप सबको समझाना चाहता हूं। हर समस्या का समाधान उसी में छिपा है। बस हमें यह देखना होगा कि हम समस्या में पड़े कैसे? इसके बाद समस्या को सुलझाना आसान होगा। यही मैं समझाना चाहता हूं।
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