Monday, June 30, 2025

तुम भी शिवाजी की तरह नासमझ हो

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

मराठा साम्राज्य की नींव रखने वाले छत्रपति शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 में शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। उनके पिता शाहजीराजे भोसले एक शक्तिशाली सामंत थे। माता जीजाबाई ने अपने बेटे शिवाजी को गौरवमयी प्राचीन कहानियां सुनाकर वीर बनाया था। जिस समय शिवाजी युवा हो रहे थे, उस समय बीजापुर का राज्य आपसी संघर्ष तथा विदेशी आक्रमण काल के दौर से गुजर रहा था। 

ऐसे कठिन समय में युवा शिवाजी को शासन की बागडोर संभालनी पड़ी। उन्होंने मराठा साम्राज्य को स्वतंत्र किया। इसके बदले उन्हें मुगलों से भिड़ना पड़ा। एक बार की बात है। शिवाजी ने एक किले पर आक्रमण किया, लेकिन काफी प्रयास के बाद सफलता नहीं मिल रही थी।  इसी दौरान वह कहीं जा रहे थे, तो वह अपने साथियों से बिछड़ गए। काफी देर तक भटकते रहने से उन्हें बहुत तेज भूख लगी। काफी देर बाद खोजने के बाद उन्हें एक झोपड़ी दिखाई दी, तो उन्होंने सोचा कि झोपड़ी में रहने वाले से खाना मांग लेते थे। 

उस झोपड़ी में एक बुजुर्ग महिला रहती थी। उस समय वह खिचड़ी बना रही थी। शिवाजी ने उससे भोजन देने को कहा, तो उसने एक पत्तल पर खिचड़ी परोस दी। शिवाजी बहुत भूखे तो थे ही, उन्होंने पत्तल में रखी गई खिचड़ी के बीचोबीच अपनी अंगुली से खिचड़ी उठानी चाही, तो अंगुलियां जल उठीं। वह मुंह से अंगुलियों पर फूंक मारने लगे। उस महिला ने उनसे कहा कि तुम्हारी शकल तो शिवाजी से मिलती है, अक्ल भी उसकी तरह नासमझों वाली है। शिवाजी ने कहा कि मां, आप ऐसा क्यों कहती हैं। 

तब महिला ने कहा कि किनारे से ठंडी खिचड़ी खाने की जगह तुमने बीच में गर्म खिचड़ी खा रहे हो। शिवाजी भी निरा नासमझ है। वह छोटे-छोटे किले जीतने की जगह बड़े किले पर हमला कर रहा है। यह सुनकर शिवाजी की समझ में आ गया कि वह क्या गलती कर रहे थे। यह सीख उनके जीवन में बड़ी काम आई।

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