केंद्र सरकार की पहल के बाद दस जुलाई के आसपास पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्री एक बार फिर बैठकर सतलुज यमुना लिंक नहर के मामले को सुलझाने की कोशिश करेंगे। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस बार केंद्र की मध्यस्थता में होने वाली बैठक में कुछ सकारात्मक हल निकालने की दिशा में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री आगे बढ़ेंगे। सन 1966 में पंजाब के ही एक हिस्से को हरियाणा राज्य का गठन किए जाने के बाद से ही सतलुज यमुना लिंक नहर विवाद ने जन्म लिया था।
वैसे इस विवाद की नींव तभी पड़ चुकी थी, जब भारत-पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि हुई थी। इस संधि के अंतर्गत भारत को रावी, ब्यास और सतलुज नदी के 'मुक्त एवं अप्रतिबंधित उपयोग' की अनुमति दी गई थी। राज्य निर्माण के बाद हरियाणा को अपने हिस्से का पानी हासिल करने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा। तब यह फैसला किया गया कि हरियाणा को सतलुज और उसकी सहायक नदी ब्यास के जल का हिस्सा प्रदान करने के सतलुज यमुना लिंक नहर का निर्माण किया जाए।
बाद में पंजाब अपने वायदे से मुकर गया और कहा कि जल बंटवारे का निर्णय तटवर्ती सिद्धांत के खिलाफ है। जब हरियाणा ने अपनी बात को पुख्ता तरीके से पंजाब, केंद्र और विभिन्न अदालतों में अपनी बात रखी, तो सन 1981 में दोनों राज्यों ने आपसी सहमति से जल के पुन: आवंटन पर सहमति जताई। अगले साल पंजाब के कपूरी गांव में 214 किमी लंबी सतलुज-यमुना लिंक का निर्माण शुरू हुआ।
उन दिनों पंजाब में आतंक का माहौल था। एसवाईएल निर्माण के विरोध में आंदोलन, विरोध प्रदर्शन और हत्याएँ हुई। अपने हिस्से में पड़ने वाले 92 किमी एसवाईएल को निर्माण हरियाणा कर चुका है। वहीं, पंजाब ने अपने हिस्से के 122 किमी का निर्माण नहीं किया है। पंजाब और हरियाणा के बीच इस मामले को लेकर कई बार बैठकें हुईं। मामला अदालत तक गया, लेकिन हर बार पंजाब के अड़ियल रवैये के चलते मामला सुलझ नहीं पाया। पिछले पांच साल में चार बार बैठकें हो चुकी हैं। 19 अगस्त 2020 को कैप्टन अमरिंदर सिंह और तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के बीच बैठक हुई। नतीजा नहीं निकला।
इसके बाद तीन बार 14 अक्टूबर 2023, 4 जनवरी 2023 और 28 दिसंबर 2023 को मुख्यमंत्री मनोहर लाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के बीच बैठक हुई। केंद्र ने भी इस मामले में मध्यस्थता की, लेकिन बैठकें बेनतीजा ही रहीं। इस बार उम्मीद की जानी चाहिए कि यह विवाद सुलझ सकेगा। सतलुज यमुना लिंक नहर विवाद के सुलझते ही दोनों राज्यों की जनता को लाभ मिलेगा।
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