आज से तीस-पैंतीस साल पहले जब किसी व्यक्ति को पता चलता था कि उसे क्षय रोग यानी टीबी है, तो वह समाज से इस बात को छिपाने की कोशिश करता था। लोगों को पता चलने पर एक तरह से सामाजिक बहिष्कार ही कर देते थे। उसके पूरे परिवार के साथ उठना बैठना, मिलना-जुलना लोग बंद कर देते थे। दुकानदार भी सामान देने में आनाकानी करते थे। इसका कारण यह था कि क्षय रोग खांसने, थूकने से दूसरों में फैलता है। इसके रोगाणु हवा में फैलकर दूसरों को रोगी बना सकते हैं।
तब इलाज भी कम ही हो पाता था। लेकिन आज टीबी को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। पिछले साल 7 दिसंबर 2024 से केंद्र सरकार ने सौ दिन में पूरे देश को टीबी मुक्त करने का अभियान चलाया था। यह अभियान हरियाणा में भी चला था। बड़े पैमाने पर लोगों की जांच की गई। यह सही है कि रोगियों की संख्या में इजाफा हुआ। सरकार ने आवश्यक कदम उठाए। लेकिन कुछ मरीज ऐसे भी थे जो दूसरे प्रदेश से अल्पकालिक रोजगार करने के लिए हरियाणा आए थे। वह अपने प्रदेश लौट गए।
ऐसे मरीजों की दवा का कोर्स पूरा नहीं हुआ। यही नहीं, उन्होंने अपने प्रदेश में जाकर सरकारी या गैर सरकारी अस्पतालों में भी संपर्क नहीं किया। ऐसे मरीज खुद के लिए तो सबसे बड़ा खतरा हैं ही, दूसरों के लिए भी किसी मुसीबत से कम नहीं हैं। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए पंचकूला में शुक्रवार को दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल, उत्तराखंड, चंडीगढ़ आदि राज्यों के चिकित्सा अधिकारियों की एक समन्वय बैठक आयोजित की गई। बैठक में राज्य से पलायन करने वाले टीबी के मरीजों के लिए एक मानक संचालन सिस्टम बनाने पर भी बात हुई।
बैठक में यह भी तय किया गया कि दूसरे राज्यों से आने वाले मरीजों के इलाज के लिए राज्यों के बीच सहयोग बढ़ाया जाएगा और उन्हें आवश्यक दवाएं और पोषण प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध कराया जाएगा। हरियाणा में टीबी रोगियों की संख्या भी कम नहीं है। हरियाणा में 2017 में टीबी के केस 38,444 दर्ज किए थे। वहीं, सन 2024 में टीबी मरीजों की संख्या 86,704 पहुंच गई। मरीजों की संख्या बीते तीन-चार साल में बहुत तेजी से बढ़ी है।
हालांकि इसका कारण यह था कि चार-पांच साल पहले बहुत कम संख्या में लोगों की जांच होती थी। लेकिन तीन-चार साल में सरकार और लोग खुद इस मामले में जागरूक हुए हैं। नतीजतन जांच का दायरा बढ़ा है। इससे मरीज भी बढ़े हैं। 2022 में कुल 31,632 मरीजों की जांच हुई थी। 2023 में 6,16,000 मरीजों की जांच की गई। अगले साल यानी साल 2024 में 7,19,900 मरीजों को जांच हुई।
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