Tuesday, June 17, 2025

अरावली वन क्षेत्र से अवैध निर्माण ध्वस्त करने से ही नहीं बनेगी बात

अशोक मिश्र

हरियाणा में इन दिनों अरावली पर्वत शृंखला को अवैध निर्माणों से मुक्त कराने का अभियान चल रहा है। इसका श्रेय मुख्यत: सुप्रीमकोर्ट को जाता है। हां, प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की प्रशंसा इसलिए की जानी चाहिए कि उन्होंने बड़ी सख्ती से अरावली क्षेत्र में किए गए अवैध निर्माण को ध्वस्त करने का आदेश दिया। उन्होंने इस मामले में अपने और पराये का भेद भी नहीं किया। पिछले दो दिनों में फरीदाबाद में 39 अवैध फार्म हाउसों को ध्वस्त कर दिया गया। इसमें कुछ भाजपा नेताओं के भी अवैध फार्म हाउस बताए जाते हैं। अवैध रूप से बनाए गए एक एक फार्म हाउस पर लोगों ने करोड़ों रुपये खर्च किए थे। 

अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने में लगे वन अधिकारियों और नगर निगम के लोगों का कहना है कि केवल फरीदाबाद में ही 6793 से अधिक छोटे-बड़े अवैध निर्माण को ढहाया जाना है। जुलाई के अंतिम सप्ताह तक सुप्रीमकोर्ट में प्रदेश सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपनी है। वन विभाग को सुप्रीमकोर्ट को यह बताना होगा कि उसने कुल कितने अवैध निर्माण को ढहाया है। असल में पहले भी सुप्रीमकोर्ट ने अरावली पर्वत शृंखलाओं पर हो रहे अवैध निर्माण और अवैध खनन पर चिंता जताई थी। 

वन विभाग और नगर निगम ने कार्रवाई भी की थी, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, कार्रवाई मंद पड़ती गई और अंतत: बंद हो गई। वन विभाग के प्रति जब सुप्रीमकोर्ट ने कड़ा रवैया अपनाया, तो वन विभाग की नींद खुली और अब वह कार्रवाई कर रहा है। करीब दो अरब साल पहले बनी अरावली पर्वत शृंखलाओं के साथ हो रहे खिलवाड़ को यदि रोक दिया जाए और जिन स्थानों पर पेड़-पौधे काटे जा चुके हैं, उन जगहों पर यदि दोबारा पौधे रोपे जाएं, उनकी सुरक्षा की जाए, तो एक बार फिर अरावली की पहाड़ियां अपना पुराना गौरव हासिल कर सकती हैं। 

दरअसल, बात यह है कि अरावली क्षेत्र जैव विविधता की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है। अरावली क्षेत्र में देशी वृक्ष प्रजातियां जैसे खैर, ढोक, रोहिड़ा, ढूडी, खेजड़ी, हिंगोट, कैर तथा कुछ लुप्तप्राय वृक्ष प्रजातियां जैसे गुग्गुल, जाल और सालर पाई जाती हैं। अवैध रूप से पेड़ पौधों की कटान करने वाले लकड़ी माफिया की निगाह इन पर रही है। वह इन अमूल्य पेड़-पौधों की तस्करी करके अरावली क्षेत्र को खोखला करते रहे हैं। 

अरावली क्षेत्र कितना समृद्ध रहा है, इसका पता इस बात से चलता है कि यहां पर कई लुप्तप्राय और संकटग्रस्त वन्यजीव प्रजातियों जैसे दुर्लभ रस्टी स्पॉटेड बिल्ली, तेंदुआ, धारीदार लकड़बग्घा, भारतीय छोटी सिवेट, बंगाल मॉनिटर छिपकली, उल्लू और चील का निवास स्थान भी है। इन्हें बचाना, हम सबका दायित्व है।

No comments:

Post a Comment