Saturday, June 7, 2025

अरावली क्षेत्र को हरा भरा करने का सैनी सरकार का फैसला सराहनीय

अशोक मिश्र

हरियाणा सरकार ने अरावली इलाके में ग्रीन वाल बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसकी औपचारिक शुरुआत पर्यावरण दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर दी है। हरियाणा के पांच जिलों से होकर गुजरात तक जाने वाली अरावली पर्वत शृंखला को हरा भरा करने का संकल्प लिया गया है। यह एक सुखद समाचार है। वैसे भी अरावली पर्वत शृंखलाओं को हरियाणा का फेफड़ा कहा जाता है। खनन माफिया और चोरी छिपे पेड़ काटने वालों ने अरावली को बहुत नुकसान पहुंचाया है। 

स्थानीय निकायों से जुड़े कर्मचारियों और निजी कंपनियों ने शहर का कूड़ा-कचरा भी अरावली की घाटियों में डालकर उसे काफी नुकसान पहुंचाया है। लेकिन अब सैनी सरकार ने इन स्थितियों से निपटने और अरावली को हराभरा बनाने का फैसला किया है। प्रदेश में अरावली की 24990 हेक्टेयर भूमि ऐसी है जो बंजर हो चुकी है। इसमें फरीदाबाद की साढ़े तीन हजार हेक्टेयर भूमि भी शामिल है। 

इन जमीनों पर पौध रोपण करके इन्हें हराभरा बनाने का प्रयास किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट में फरीदाबाद, नूंह, गुड़गांव, रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ जिले शामिल रहेंगे। सच बात तो यह है कि सही तरीके से अरावली को हरा भरा बना दिया गया, तो हरियाणा ही नहीं दिल्ली भी वायु प्रदूषण से काफी हद तक राहत महसूस करेगी। दिल्ली एनसीआर वालों को दमघोंटू वायु प्रदूषण का सामना नहीं करना पड़ेगा। 

वायु प्रदूषण के चलते कई तरह की बीमारियों का खतरा झेल रहे हरियाणा और दिल्लीवासियों को काफी हद तक राहत मिल जाएगी। वैसे एक अच्छी खबर यह है कि स्मार्ट सिटी और औद्योगिक नगरी के नाम से विख्यात फरीदाबाद में पिछले वर्ष में 8.73 प्रतिशत वन क्षेत्र की बढ़ोतरी हुई है। वन विभाग ने पिछले साल एक सर्वे किया था। सर्वे के दौरान ही पता चला कि फरीदाबाद में 581.79 हेक्टेयर वन क्षेत्र की बढ़ोतरी हुई है। इससे पहले वर्ष तक अरावली क्षेत्र का दायरा 6948.44 हेक्टेयर ही था। इसका कारण यह बताया गया कि इस क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों के दौरान पौधरोपण ज्यादा किया गया था। 

फरीदाबाद से प्रदेश के अन्य जिलों को एक सबक लेना चाहिए और उन्हें अरावली क्षेत्र ही नहीं, अन्य  इलाकों में भी बड़े पैमाने पर पौधरोपण करना चाहिए। इसे न केवल हरित क्षेत्र बढ़ेगा, बल्कि ग्लोबल वार्मिंग पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा। फरीदाबाद को यह सफलता इसलिए भी मिली थी क्योंकि इसमें स्कूली बच्चों, अध्यापकों, स्वयंसेवी संस्थाओं और वन विभाग के कर्मचारियों ने बड़े उत्साह के साथ पौधरोपण कार्यक्रम में भाग लिया था। स्कूली बच्चों को सीड्स बाल दिए गए थे जिसको उन्होंने अरावली क्षेत्र में फेंका था जो बाद में अनुकूल परिस्थितियों के चलते  उग आए थे।

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