Friday, June 6, 2025

मन में विकार रूपी छेद हो, तो प्रेम कहां टिकेगा

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

महात्मा बुद्ध गौतम गोत्र में जन्म लेने के कारण गौतम कहलाए थे। यह भी कहा जाता है कि बुद्ध के जन्म के सात दिन बाद मां महामाया देवी की मृत्यु हो जाने पर उनकी मौसी महाप्रजापती गौतमी ने लालन-पालन किया था, इस वजह से वह गौतम कहे गए। जब महात्मा बुद्ध बोधित्व प्राप्त हुआ तो महिलाओं में सबसे पहले प्रवज्या लेने वाली उनकी मौसी गौतमी ही थी। 

गौतमी ने महान भिक्षुणी की अहर्ता प्राप्त की थी। महात्मा बुद्ध ने लोगों को कर्म करने के साथ-साथ अहिंसा का पाठ पढ़ाया। वह जहां भी जाते थे, लोग उनका प्रवचन सुनने को जमा हो जाते थे। एक बार किसी जगह पर वह रोज कुछ घंटे लोगों को उपदेश दिया करते थे। उपदेश खत्म होने के बाद लोग अपनी समस्याएं बुद्ध के सामने रखते थे। वह अपनी स्मित हंसी बिखेरते हुए उनकी समस्याओं का निदान किया करते थे। 

एक दिन एक व्यक्ति महात्मा बुद्ध के पास आया और बोला कि मैं सबसे प्रेम करता हूं। सबकी सहायता भी करता हूं, लेकिन बदले में मुझे कोई प्रेम नहीं करता है। आखिर मुझ में क्या कमी है? तथागत ने उस वक्त तो कोई जवाब नहीं दिया। वह आगे बढ़ गए। तमाम शिष्यों के साथ वह आदमी भी तथागत के साथ चल पड़ा। एक जगह उन्हें प्यास लगी, तो उन्होंने उस व्यक्ति से पानी  लाने को कहा। 

सामने एक कुआं था। वहां बाल्टी और रस्सी भी थी। उस आदमी ने पानी भरना शुरू किया, लेकिन जब बाल्टी ऊपर आई तो उसमें पानी नहीं था। कई बार प्रयास करने के बाद पानी नहीं निकला तो बुद्ध ने कहा कि इसमें पानी इसलिए नहीं निकला क्योंकि बाल्टी में छेद है। इसी तरह तुम्हारे मन में विकार रूपी छेद हैं। फिर उसमें प्रेम कहां समाएगा। लोगों का प्रेम तुम्हें महसूस ही नहीं होगा। यह सुनकर वह व्यक्ति अपनी कमी को समझ गया।

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