हरियाणा के लिए यह खबर सचमुच बहुत चिंताजनक है कि प्रदेश की औद्योगिक नगरी फरीदाबाद में हर साल दो मीटर भूजल स्तर गिर रहा है। सेंट्रल ग्राउंड वॉटर बोर्ड के अनुसार, न्यू इंडस्ट्रियल टाउन 4 और उसके आसपास के इलाकों में भूजल स्तर 64.47 मीटर तक पहुंच गया है जो पूरे जिले में सबसे ज्यादा है। यह स्थिति केवल फरीदाबाद की ही नहीं है। प्रदेश के 22 जिलों में पिछले कई दशक से भूजल स्तर लगातार गिर रहा है। प्रदेश में जितना जल दोहन हो रहा है, उससे कम ही वॉटर रिचार्ज हो रहा है।
इसकी वजह से प्रदेश में जल संकट गहराता जा रहा है। यदि भूजल स्तर को संतुलित नहीं किया गया, तो प्रदेश के लिए जल संकट का खतरा बढ़ सकता है। बीते 10 वर्षों की बात करें तो प्रदेश का औसत भूजल स्तर 5.41 मीटर नीचे जा चुका है। नतीजतन प्रदेश के 107 ब्लॉक डार्क जोन की श्रेणी में पहुंच गए हैं। अगर डायनामिक ग्राउंड वॉटर रिसोर्स असेसमेंट 2024 की रिपोर्ट को आधार बनाकर बात की जाए, तो हरियाणा में साला भूजल पुनर्भरण की क्षमता 19.32 अरब घन मीटर बताई जाती है। इसमें से 9.36 अरब घन मीटर पानी का उपयोग साल भर में किया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है।
प्रदेश में हर साल 12.72 अरब घन मीटर पानी का उपयोग किया जा रहा है। हरियाणा में उपलब्ध भूजल क्षमता के हिसाब से तो यह आंकड़ा 136 फीसदी तक पहुंचता है। डायनामिक ग्राउंड वॉटर रिसोर्स असेसमेंट 2024 की रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश के 143 क्षेत्र जिनमें ब्लाक और शहरी इकाइयां शामिल हैं, में से 88 क्षेत्र में पानी का दोहन क्षमता से अधिक हो रहा है। राज्य के 11 क्षेत्रों में हालत इतनी बदतर है कि इन्हें गंभीर श्रेणी में रखा गया है। प्रदेश के आठ क्षेत्र तो आंशिक गंभीर श्रेणी में रखा गया है। इन क्षेत्रों में यदि प्रयास किया जाए, तो हालात को सुधारा जा सकता है। वहीं केवल 36 क्षेत्र ऐसे हैं जिनको लेकर संतोष व्यक्त किया जा सकता है।
यदि इन इलाकों में भी जल दोहन पर ध्यान नहीं दिया गया, तो हालात यहां भी बदतर होने में देर नहीं लगेगी। हरियाणा में भूजल का सबसे ज्यादा उपयोग कृषि के लिए किया जा रहा है। राज्य में कुल 35 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में से करीब 11.21 लाख हेक्टेयर में ट्यूबवेल से सिंचाई की जाती है। राज्य में सिंचाई के लिए करीब 8.5 लाख ट्यूबवेल हैं। सिंचाई के लिए ज्यादा पानी का उपयोग तब होता है, जब अगैती फसल बोई जाती है। अगैती फसलों को सामान्यत: ज्यादा पानी की जरूरत होती है। यही नहीं, टैंकर माफिया भी अंधाधुंध जल दोहन करके हालात को खराब कर रहे हैं। इनकी वजह से भी जल स्तर लगातार घटता जा रहा है।
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