अशोक मिश्र
हरियाणा के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह का माहौल है। यह उत्साह कितने दिन तक स्थायी रहता है, यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन राहुल गांधी की पिछले दिनों हरियाणा यात्रा ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं और छोटे नेताओं में यह विश्वास जरूर जगा दिया है कि आने वाले दिनों में कांग्रेस के हालात अच्छे हो जाएंगे। पिछले दिन चंडीगढ़ में प्रदेश स्तर के नेताओं और पार्टी पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में राहुल गांधी ने एक बात तो साफ कर दी है कि अब पार्टी में गुटबाजी स्वीकार नहीं की जाएगी।
पार्टी को नुकसान पहुंचाने वाला बयान या गतिविधि को अंजाम देने वाले के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। बैठक को लेकर मीडिया जगत में जो बातें सामने आई हैं, उसके मुताबिक लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने गुटबाजी में शामिल कुछ नेताओं को बुरी तरह फटकार लगाई है। राहुल गांधी ने पार्टी नेताओं को यह बात साफ तौर पर बता दी है कि कांग्रेस संगठन तैयार करने में और जिलाध्यक्ष से लेकर ब्लाक स्तर तक पदाधिकारियों की नियुक्ति में किसी भी नेता की सिफारिश नहीं चलेगी। जिस भी नेता ने किसी की सिफारिश की तो उसके भी खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
राहुल गांधी ने हरियाणा में पार्टी संगठन खड़ा करने की जिम्मेदारी केंद्रीय संगठन द्वारा नियुक्त किए गए आब्जर्वरों और स्थानीय आब्जर्वरों को सौंप दी है। कांग्रेस हाई कमान ने प्रत्येक जिले के लिए आब्जर्वर तैनात कर दिए हैं। यह पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलकर, उनसे राय मशविरा करने के बाद जिलाध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों के नाम तय करके हाई कमान को सौंपेंगे। इन नामों में अगड़ा, पिछड़ा, दलित जैसे सभी समुदाय से छह विकल्प होंगे। कहा तो यह भी जा रहा है कि यदि किसी जिले में कोई ऐसा व्यक्तित्व जिसने किसी क्षेत्र में विशेष ख्याति अर्जित की हो और वह पार्टी सदस्य हो, पार्टी की विचारधारा में उसकी आस्था हो, तो उसे भी जिलाध्यक्ष बनाया जा सकता है।
इसके लिए यह जरूरी है कि वह युवा हो। राहुल गांधी प्रदेश की कमान अब युवाओं को सौंपना चाहते हैं। इसके बाद राजनीतिक गलियारे में यह बात भी कही जाने लगी है कि प्रदेश में जितने भी बुजुर्ग नेता हैं या जो गुटबाजी में शामिल हैं, वह साइड लाइन किए जा सकते हैं। उनकी भूमिका संगठन और विधायकों को बस सलाह देने तक ही सीमित रह सकती है। हालांकि राहुल गांधी ने संगठन बनाने के लिए जो समय सीमा तय की है, वह बहुत कम है।
पिछले 11 साल में कांग्रेस हाईकमान ने आठ प्रभारी नियुक्त किए, लेकिन वह प्रदेश में कांग्रेस का मजबूत संगठन तैयार करने में सफल नहीं हो सके। ऐसी स्थिति में दो या तीन महीने में पूरे प्रदेश में संगठन तैयार कर पाना, कठिन प्रतीत हो रहा है।
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