Friday, June 6, 2025

लगातार बिगड़ते पर्यावरण के प्रति आखिर कितना जागरूक हैं हम?

अशोक मिश्र

पूरी दुनिया में आज विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है। दुनिया भर में इसे किस तरह मनाया गया, यह कह पाना तो आसान नहीं है, लेकिन जिस तरह हमारा पर्यावरण दिनोंदिन बिगड़ता जा रहा है, उससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत की ही तरह दुनिया भर में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया होगा। भारत के सभी राज्यों में पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है। 

हरियाणा भी इससे अछूता नहीं है। प्रदेश सरकार ने लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए हैं। मुख्यमंत्री से लेकर सभी मंत्रियों, विपक्षी दलों के नेताओं, नौकरशाहों ने सभा, सेमिनार और कई तरह के आयोजनों में लोगों को अपने पर्यावरण को सुधारने को लेकर समझाया है। कहीं पौधरोपण किया गया है, तो कहीं बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक शपथ दिलाई गई होगी कि वह पर्यावरण सुरक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। 

सवाल यह है कि क्या एक दिन पर्यावरण दिवस मनाने से हमारा पर्यावरण सुरक्षित हो जाएगा? ग्लोबल वार्मिंग रुक जाएगी? हर साल घटता भूजल स्तर रुक जाएगा? क्या हरियाणा के शहर प्रदूषण के चलते गैस चैंबर बनने से बच जाएंगे? ऐसा कुछ नहीं होने वाला। एक दिन लोगों के सामने भाषण देने, उन्हें शपथ दिलाने या समझाने से हालात नहीं बदलने वाले हैं। हरियाणा में पिछले कई वर्षों में भूजल स्तर चार-पांच मीटर नीचे चला गया है। कुछ इलाके तो ऐसे हैं जहां 62-65 मीटर गहरी बोरिंग करने पर पानी मिलता है। यह गहराई हर साल कुछ मीटर बढ़ जाती है। प्रदेश के सौ से ज्यादा क्षेत्र भूजल के मामले में डार्कजोन में आ चुके हैं। हालात यदि नहीं बदले  तो इनकी संख्या बहुत तेजी से बढ़ सकती है। दिल्ली एनसीआर में शामिल शहरों में प्रदूषण का आलम यह है कि कभी-कभी तो सांस लेना दूभर हो जाता है। 

बुजुर्गों और बच्चों को दमा, अस्थमा और कैंसर जैसे रोगों के होने का खतरा पैदा हो जाता है। हरियाणा की ज्यादातर नदियां प्रदूषण का शिकार हैं। राज्य की फैक्ट्रियों से निकलने वाला खतरनाक रसायन नालों और नालियों के माध्यम से नदियों में प्रवाहित होता है। उस पानी का उपयोग करने से कई तरह की बीमारियों के शिकार लोग होते हैं। सरकार इन फैक्ट्रियों पर अंकुश भी नहीं लगा पा रही है। 

कई बार चेतावनी देने पर भी फैक्ट्री संचालक इस पर ध्यान नहीं देते हैं। यही हाल खेतों में पराली जलाने के मामले में दिखाई देता है। सरकार ने खेतों में पराली जलाने पर कई तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं। यहां तक कि पराली जलाते हुए पकड़े जाने पर जुर्माना और दो सीजन तक सरकारी मंडी में फसल बेचने पर प्रतिबंध तक लगा हुआ है। इसके बावजूद किसान पराली जला रहे हैं।

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