Tuesday, June 3, 2025

हरियाणा में फिर से कांग्रेस संगठन खड़ा कर पाएंगे राहुल गांधी?

अशोक मिश्र

हरियाणा कांग्रेस संगठन को पटरी पर लाने की कवायद के तहत चार जून को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी चंडीगढ़ आ रहे हैं। राहुल गांधी के हरियाणा आगमन के सिलसिले में कांग्रेस नेताओं की गतिविधियां तेज हो गई हैं। राजनीतिक हलकों में जो चर्चा है, उसके मुताबिक राहुल गांधी का हरियाणा आगमन मुख्यत: दो बातों को लेकर है। पहला तो यह है कि हरियाणा में मृतप्राय संगठन को फिर से खड़ा किया जाए। ठीक उसी तरह जिस तरह आज से ग्यारह-बारह साल पहले कांग्रेस संगठन हुआ करता था। 

हर जिले, हर ब्लाक और गांव स्तर पर कांग्रेस को अपना संगठन खड़ा करने के लिए प्रदेश स्तर के सभी नेताओं को एकजुट होकर अपना खून पसीना एक करना होगा। जब कोई संगठन एक बार छिन्न भिन्न हो जाता है, तो उसको दोबारा पुरानी स्थिति में लाने में काफी मेहनत करनी पड़ती है। नया संगठन तैयार करने की अपेक्षा पुराने संगठन को ही झाड़-पोंछकर खड़ा करना काफी दुरूह हो जाता है। 

किसी पार्टी संगठन के कार्यकर्ताओं का एक बार जब विश्वास नेताओं पर से टूट जाता है, तो उस विश्वास को कायम करने में अधिक श्रम और समय लगता है। उन्हें विश्वास नहीं हो पाता है कि पार्टी के नेता सचमुच सक्रिय हो गए हैं। वैसे एक बात यह भी है कि लोग उस दल से जुड़ना ज्यादा पसंद करते हैं जिसकी प्रदेश या देश में सत्ता होती है। यह एक मानवीय प्रवृत्ति है। ज्यादातर लोग सत्ता के साथ जुड़कर अपना हित साधना चाहते हैं। जिनकी आस्था किसी पार्टी के दर्शन और सिद्धांत के प्रति होती है, वह अपनी पार्टी में बने रहते हैं। 

वरिष्ठ नेताओं का रवैया ठीक न हो या गुटबाजी हो जाए, तो ऐसे कार्यकर्ता निष्क्रिय हो जाते हैं। राहुल गांधी चार जून को जिला स्तर पर संगठन खड़ा करने का प्रयास करेंगे, ऐसी चर्चा है। राहुल गांधी के चंडीगढ़ आगमन का दूसरा कारण प्रदेश स्तरीय नेताओं के बीच चल रही गुटबाजी को खत्म करना है। विधानसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने प्रदेश कांग्रेस में कई वर्षों से अपनी जड़ें जमाए बैठी गुटबाजी को खत्म करने का प्रयास किया था, लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई थी। अब उन्होंने एक बार फिर नेताओं की गुटबाजी खत्म करने के लिए एक और प्रयास करने का मन बनाया है। 

वह अपने प्रयास में कितना सफल हो पाते हैं, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन एक बात अवश्य कही जा सकती है कि जब तक बुजुर्ग हो चुके अड़ियल नेताओं को दरकिनार नहीं किया जाता, तब तक बात बनने वाली नहीं है। सबसे पहले तो प्रदेश की कमान उस व्यक्ति को सौंपनी होगी, जो युवा हो, उत्साही हो और पार्टी के प्रति पूरी तरह समर्पित हो। वह सभी गुटों से बाहर का होना चाहिए।

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