Monday, June 16, 2025

इतनी मेहनत करो कि थककर चूर हो जाओ

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

आमतौर पर देखा यह गया है कि अमीर लोग अपने लगभग सभी कामों के लिए नौकरों-चाकरों पर निर्भर हो जाते हैं। वह कोई भी काम करना अपनी तौहीन समझते हैं। इसका दुष्परिणाम भी सामने आता है। कई तरह  के शारीरिक और मानसिक रोगों के शिकार भी हो जाते हैं। 

वैसे आजकल के अमीर लोग काम तो नहीं करते हैं, लेकिन वह अपने घर या बाहर किसी जिम में जाकर अपना पसीना जरूर बहाते हैं। प्राचीन काल की एक कथा है। किसी नगर में एक धनाढ्य व्यापारी रहता था। उसके पास अपार धन-संपत्ति थी। कई बीघे में फैली एक शानदार हवेली थी। घर में हर काम के लिए नौकर-चाकर थे। लेकिन उसे एक समस्या थी। जब वह खा-पीकर रात को लेटता था, तो उसे नींद नहीं आती थी। 

अपनी बीमारी के लिए उसने कई वैद्यों को दिखाया, लेकिन उसे आराम नहीं मिला। उन्हीं दिनों उसके शहर में एक साधु आया। वह लोगों की समस्याओं को दूर कर देता था। उसकी नगर में अच्छी खासी ख्याति थी। एक दिन नगर का सबसे धनाढ्य व्यापारी उसके पास पहुंचा और अपनी व्यथा सुनाई। व्यापारी ने कहा कि रात में मुझे चैन से नींद नहीं आती है। थोड़ी देर सोने के बाद ही चौंक उठता हूं। कोई उपाय बताएं। 

साधु ने कहा कि आप कुछ काम करते हैं? व्यापारी ने कहा कि मुझे काम करने की क्या जरूरत है। मेरे पास इतने नौकर-चाकर किस लिए हैं? तब साधु ने कहा कि यदि तुम ठीक होना चाहते हो, तो मेरी बात मानो। तुम दिनभर में एक बार इतनी मेहनत करो कि थककर चूर हो जाओ। तभी तुम चैन की नींद सो पाओगे। व्यापारी ने साधु की बात मानकर अगले दिन खूब मेहनत की और रात में गहरी नींद सोया। सुबह उठने के बाद सबसे पहले साधु का पास व्यापारी गया और उसका आभार प्रकट किया।

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