पिछले कई दशक से हरियाणा और उसके आसपड़ोस के राज्य भयंकर रूप से पर्यावरण प्रदूषण की चपेट में हैं। हरियाणा में अब पर्यावरण को सुधारने की दिशा में प्रदेश सरकार के साथ-साथ कुछ स्वयंसेवी संस्थाएं और स्कूली बच्चे प्रयासरत हैं। इसके बावजूद अभी और बहुत कुछ करने की जरूरत है। सबसे पहले तो हमें जीवाश्म ईंधन का उपयोग कम से कम करना होगा, ताकि प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सके। कोयला, लकड़ी, डीजल और पेट्रोल जैसे ईंधन का कम से कम उपयोग करके ही हम अपने पर्यावरण को बचा सकते हैं।
दक्षिण हरियाणा का फेफड़ा कहे जाने वाली अरावली पर्वत श्रंखलाओं को अधिक से अधिक हराभरा करने की कोशिश करनी होगी ताकि जीवनदायिनी आक्सीजन की मात्रा हवा में अधिक से अधिक मिल सके। हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार ने वनक्षेत्र के विस्तार की योजना बनाई है। सरकार तो अपने स्तर से वन क्षेत्र को बढ़ाने का प्रयास कर रही है और भविष्य में वह करेगी भी। लेकिन प्रदेश के नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए अधिक से अधिक वनीकरण की ओर ध्यान देना होगा।
प्रदेश सरकार ने राज्य में वन क्षेत्र बढ़ाने के लिए बहुआयामी प्रयास शुरू कर दिया है। इससे हमारे प्रदेश के पर्यावरण को सुधारने में सहायता मिलेगी। प्रदेश सरकार का दावा है कि शहर वानिकी के तहत प्रदेश के सभी शहरों में 67,500 पौधे रोपे गए हैं। यही नहीं, यदि गांवों में रोपे गए पौधों की बात करें, तो शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों को मिलाकर सन 2024-25 में कुल 44 लाख पौधे रोपे गए हैं। रोपे गए इन पौधों से तत्काल तो पर्यावरण में बदलाव आता नहीं दिखेगा, लेकिन जब यह पौधे अपना आकार ग्रहण कर लेंगे, तब इसका फायदा नजर आएगा। यह शुरुआत हो गई है।
इसका फायदा आगामी पांच छह साल बाद नजर आएगा। यदि समाज कल्याण की भावना से आज सभी लोग एक या दो पौधे अपनी जमीन पर रोपने के बाद उसकी सुरक्षा करें, तो वह समाज की सबसे बड़ी सेवा कर रहे हैं। अमृत सरोवर योजना के तहत प्रदेश सरकार ने 2200 तालाबों के इर्द-गिर्द पीपल, बड़ और नीम जैसे पेड़ों की त्रिवेणी रोपने का कार्य प्रगति पर है। प्रकृति विज्ञानी बताते हैं कि पीपल, वट, नीम, पाकड़ जैसे पेड़ अधिक से अधिक कार्बन डाईआक्साइड सोखकर आक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं।
यदि इन पेड़ों को ज्यादा मात्रा में रोपा जाए, तो पर्यावरण को सुधारने में काफी सहायता मिलेगी। प्रदेश सरकार का कहना है कि हरियाणा की नदियों के किनारे किनारे बीस लाख से अधिक पौधों को लगाया गया है। यही नहीं, विद्यार्थियों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए 13.50 लाख पौधे वितरित किए गए हैं।
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