Sunday, June 1, 2025

सैनी सरकार ने सरस्वती नदी के पुनर्जीवित होने की जगाई आस

अशोक मिश्र

भारत के ज्ञात इतिहास में सबसे पहले विलुप्त होने वाली नदियों में सरस्वती का नाम ऊपर है। इस नदी का उल्लेख वेदों, पुराणों और प्राचीन ग्रंथों में बहुतायत में मिलता है। कहा जाता है कि सरस्वती नदी तीन हजार साल पूर्व विलुप्त हो चुकी थी। सरस्वती नदी के विलुप्त होने का कारण कुछ लोग सरस्वती नदी क्षेत्र में बार-बार आने वाले भूकंप को मानते हैं, तो वहीं कुछ लोग मानते हैं कि मानवीय गतिविधियों के कारण ही सरस्वती नदी सूख गई। इन बातों में कितनी सच्चाई है, इसका पता अब विज्ञान और टेक्नोलॉजी के माध्यम से लगाया जा सकता है। 

इसके अलावा देश में विलुप्त हो जाने वाली नदियों में घाघर और लूनी का भी नाम लिया जाता है। वैसे कुछ और नदियां हैं जिनके विलुप्त हो जाने का खतरा है। ऐसी नदियों में फल्गु, दरधा और बाणेश्वरी दाहा प्रमुख हैं। लेकिन अब हरियाणा सरकार ने विलुप्त हो चुकी सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करने के लिए कमर कस ली है। यदि सरकार की योजना का सही तरीके से क्रियान्वयन हुआ, तो अक्टूबर 2027 तक हरियाणा में सरस्वती नदी के प्रवाह को देखने का सौभाग्य मिल सकता है। 

सैनी सरकार की योजना के अनुसार सरस्वती नदी यमुनानगर के आदि बद्री से शुरू होकर राज्य में चार सौ किमी की यात्रा करती हुई सिरसा के ओट्टू बैराज में मिल जाएगी। इसके बाद यहीं से वह आगे बढ़कर राजस्थान की ओर निकल जाएगी। अभी यमुनानगर में सरस्वती के उद्गम क्षेत्र आदि बद्री में शिवालिक की पहाड़ियों से बूंद-बूंद पानी रिसता है। जो वहां स्थित एक कुंड में इकट्ठा हो जाता है। इस जगह पर यदि उद्गम क्षेत्र से पानी का प्रवाह बढ़ा दिया जाए, तो सरस्वती नदी पुनर्जीवित हो उठेगी। 

राज्य सरकार की योजना पूरी होने के बाद सरस्वती नदी के चार सौ किमी प्रवाह क्षेत्र के आसपास बसे गांवों और शहरों को पानी की कमी से नहीं जूझना पड़ेगा। इससे नदी के प्रवाह क्षेत्र के आसपास की जमीन भी रिचार्ज होगी और सिंचाई के लिए पानी भी पर्याप्त मात्रा में किसानों को मिलेगा। वर्ष 2015 में हरियाणा सरकार ने सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करने के लिए सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड की स्थापना की थी। विकास बोर्ड तभी से लगातार इस योजना पर काम कर रहा है। 

विकास बोर्ड की योजना के अनुसार, खंड व्यासपुर के रामपुर कांबियान, रामपुर होड़ियान और छिलौर गांवों के 350 एकड़ पंचायत की भूमि पर एक जलाशय बनाया जा रहा है। एनएचएआई ने यहां से मिट्टी निकालने का काम भी शुरू कर दिया है। अब तक तीन लाख क्यूसेक मिट्टी निकाली भी जा चुकी है। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार को समय से इस पूरी परियोजना को पूरा करने का प्रयास करना चाहिए।

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