ईरान और इजरायल के बीच बारह दिनों तक युद्ध चला। ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर अमेरिका ने हमला किया। इसके जवाब में ईरान ने कतर में मौजूद अमेरिका के अल-उदीद एयर मिलिट्री बेस पर छह मिसाइलें दागीं। ईरान ने कतर को हमला करने से पहले सूचना दी। ठीक उसी तरह जिस तरह भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान को एयर स्ट्राइक से पहले जानकारी थी। सोमवार की देर रात और मंगलवार की अल्लसुबह ईरान, अमेरिका और इजरायल के बीच छिटपुट झड़पें तो हुईं, लेकिन कोई खास नुकसान की खबर अभी तक नहीं है। इसके बाद
डोनाल्ड ट्रंप का ट्रूथ सोशल यह कहना कि सभी पक्ष युद्ध विराम पर सहमत हो गए हैं और उन्हें उम्मीद है कि इससे संघर्ष का आधिकारिक अंत हो जाएगा। दरअसल, अमेरिका, ईरान और इजरायल के बीच पिछले दो हफ्ते से जो कुछ चल रहा है, उससे एक बार यह भी शक पैदा हो रहा है कि कहीं यह सब कुछ स्क्रिप्टेड तो नहीं था।
जब भारत ने पहलगाम हमले के बाद नौ मई को पाकिस्तान में छिपे बैठे आतंकी संगठनों के खिलाफ एयर स्ट्राइक की थी, तो पाकिस्तान ने भी जवाबी कार्रवाई की। भारत ने अपनी कार्रवाई को आॅपरेशन सिंदूर नाम दिया था। इसे युद्ध कहें या झड़प, भारत की चार दिन की कार्रवाई में निस्संदेह पाक के होश फाख्ता हो गए थे। ऊपर से भारत ने सिंधु नदी जल प्रवाह रोककर पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया था। तभी इस परिदृश्य में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप की इंट्री होती है। वह ट्रूथ सोशल पर घोषणा करते हैं कि भारत और पाकिस्तान के राष्ट्राध्यक्षों के बीच मैंने मध्यस्थता की और दोनों देश सीजफायर के लिए सहमत हो गए हैं। इसके बाद पाकिस्तान ने ट्रंप की बात की पुष्टि की। भारत ने सीजफायर की बात तो स्वीकार की, लेकिन ट्रंप की मध्यस्थता की बात स्वीकार नहीं की।भारत ने पाकिस्तान के मुद्दे पर कभी किसी तीसरे देश का दखल स्वीकार नहीं किया था। तो अब पीएम मोदी अपनी पारंपरिक लीक से कैसे हट सकते थे।
अब ट्रंप कह रह हैं कि उन्होंने हालिया पोस्ट में लिखा, 'इस्राइल और ईरान लगभग एक साथ मेरे पास आए और शांति की गुहार लगाई। मैंने इन दोनों में समझौता करा दिया है। अमेरिका ने दो दिन पहले जिस तरह ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला किया, वह प्रतीकात्मक कार्रवाई जैसा लग रहा है। ईरान के परमाणु कार्यक्रम को बहुत ज्यादा क्षति पहुंचा हो, ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि सीजफायर के बाद क्या ईरान अब इजरायल के लिए खतरा नहीं रहेगा? अगर ईरान ने परमाणु हथियार बना लिए हैं, तो वह नष्ट हुए नहीं हैं।
अमेरिकी हमलों से भी उसे कोई हानि होती तो दिखाई नहीं दी है। ऐसी स्थिति में इजरायल पूरी दुनिया और अपने देश की जनता को क्या जवाब देगा? बारह-तेरह दिन पहले इजरायल ने ईरान पर यही कहते हुए हमला किया था कि ईरान ने परमाणु हथियार बना लिए हैं जिससे इजरायल को खतरा है। सीजफायर के बाद भी ईरान ने परमाणु हथियारों के बारे में तो कुछ कहा नहीं है। इसका मतलब अगर ईरानी परमाणु कार्यक्रम पूरा नहीं हुआ है, तो वह अब भी चलता रहेगा। फिर इजरायल को यह युद्ध लड़ने से हासिल क्या हुआ? इजरायल बारह दिन पहले जिस तरह खाली हाथ था, आज भी वह सीजफायर के बाद भी खाली हाथ खड़ा है। दुनिया में सबसे सुरक्षित होने का प्रचार करने वाले आयरन डोम का ढोल भी फट गया। ईरानी मिसाइलों ने इजरायल में जो तबाही मचाई है, वह नुकसान अलग से हुआ।
अब उम्मीद है कि दो-चार दिन में छिटपुट झड़पों के बाद ईरान, इजरायल और अमेरिका शांत होकर बैठ जाएंगे। लेकिन इसका नतीजा यह हो सकता है कि मध्य पूर्व एशिया में सामरिक हथियारों की एक होड़ पैदा हो। ईरान, इराक, सीरिया, सऊदी अरब, कतर, ओमान, तुर्की, मिस्र, लेबनान जैसे तमाम देश अपने रक्षा बजट में बढ़ोत्तरी करके अपने अपने समर्थक देशों से हथियार खरीदें।
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