Saturday, June 21, 2025

जागो, समय निकला जा रहा है

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

गौतम बुद्ध ने 29 वर्ष की आयु में जरा, मरण और मुक्ति दिलाने के मार्ग पर चलने का निश्चय किया था। कुछ लोग मानते हैं कि उनका पालन पोषण उनकी मौसी महाप्रजापती गौतमी ने किया था, इसलिए उन्हें गौतम कहा जाता है। कुछ लोगों का मानना है कि उनका जन्म गौतम नक्षत्र में हुआ था, इसलिए वह गौतम कहलाए। महात्मा बुद्ध ने अपने जीवन का सबसे ज्यादा वर्षाकाल श्रावस्ती के जेतवन में बिताया था। 

यह वन तत्कालीन शासक प्रसेनजित के पुत्र राजकुमार जेत का था जो जेतवन कहलाता था। इसे श्रावस्ती के एक नगरश्रेष्ठि ने गौतम बुद्ध के लिए राजकुमार जेत से इसे खरीद लिया था। एक बार की बात है। महात्मा बुद्ध जेतवन में प्रवचन दे रहे थे। प्रवचन के अंत में उन्होंने वहां मौजूद लोगों से कहा, जागो! समय निकला जा रहा है। 

प्रवचन खत्म होने के बाद उनके प्रिय शिष्य आनंद ने कहा कि तथागत! मैं आपकी आखिरी बात का मतलब नहीं समझ पाया। यह सुनकर तथागत मुस्कुराए और बोले, चलो, थोड़ा घूम आते हैं। जब वह आगे बढ़े, तो उनके सामने एक नर्तकी आई और उसने कहा कि महाप्रभु! आज मेरा नृत्य का कार्यक्रम नगर के धनाढ्य व्यक्ति के यहां तय था। जब आपने कहा कि जागो, समय निकला जा रहा है, तब मुझे कार्यक्रम की याद आई। 

थोड़ा आगे चलने पर एक व्यक्ति ने आकर उन्हें प्रणाम किया और कहा कि मुझे एक घर में चोरी करने जाना था। आपके जगाने पर ही मुझे चोरी करने जाने की बात याद आई। वहीं एक बुजुर्ग ने आगे आकर कहा कि अब तक तो मैंने निर्वाण के लिए कुछ नहीं किया, लेकिन आपके जगाने से मैं जाग गया हूं। यह सुनकर तथागत ने आनंद से कहा कि मेरा संदेश एक ही था, लेकिन जिसकी जैसी प्रवृत्ति थी, उसने वैसा ग्रहण किया।

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