Thursday, June 19, 2025

सात हजार बच्चों की जान बचाने वाला डॉक्टर

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

सन 1869 को पोलैंड के क्रोटोजिन शहर में पैदा हुए मार्टिन आर्थर कॉनी को प्रीमेच्योर बच्चों को बचाने वाला मसीहा कहा जाता है। उन्होंने इनक्यूबेटर का आविष्कार किया था। इस इनक्यूबेटर के माध्यम से उन्होंने अपने जीवन भर में सात हजार से ज्यादा प्रीमेच्योर यानी समय से पहले पैदा हुए बच्चों की जान बचाई थी। इसके लिए उन्होंने अमेरिका और यूरोप के कई देशों में इनक्यूबेटर की प्रदर्शिनियां लगाई, लोगों को समझाया कि समय से पहले पैदा हुए बच्चों की जान बचाना संभव है। 

उन दिनों लोगों की यह मान्यता थी कि जो बच्चे समय से पहले पैदा हो गए हैं,  उन्हें बचा पाना कतई संभव नहीं है। ऐसे बच्चे मर ही जाएंगे। जब कॉनी ने लोगों को यह बात समझानी शुरू की, तो लोगों ने उनका खूब मजाक उड़ाया। लेकिन कॉनी अपनी बात पर अड़े रहे। बिना किसी मान-अपमान का भाव मन में लाए, वह अपने काम में जुटे रहे। 

नतीजा यह हुआ कि धीरे-धीरे महिलाओं को उनकी बात पर विश्वास होने लगा। जब उन्होंने कई समय से पहले पैदा हुए बच्चों का जीवन बचा लिया, तो लोगों को विश्वास हुआ। फिर क्या था? महिलाएं अपने प्रीमेच्योर बच्चों को इनके पास लाकर छोड़ जाने लगीं। अब सवाल यह है कि इनके दिमाग में इनक्यूबेटर बनाने की बात कैसे आई। 

एक दिन वह एक मुर्गी फार्म हाउस से गुजर रहे थे तो उन्होंने देखा कि फार्महाउस के मालिक ने मुर्गी के अंडों को एक गर्म बक्से में रखकर से रहा है। तब उनके दिमाग में आया कि इस तरह तो प्रीमेच्योर बच्चों की भी जान बचाई जा सकती है। वह इस विचार को लेकर प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पियरे बुडिन के पास गए और उनके साथ काम करने लगे। इसके लिए कुछ नर्सों को भी प्रशिक्षित किया।

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