Thursday, June 19, 2025

पर्यावरणीय दृष्टिकोण से मील का पत्थर साबित होगी जंगल सफारी

अशोक मिश्र

अरावली पर्वत शृंखला हरियाणा के साथ-साथ राजस्थान और गुजरात के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। करीब 790 किमी लंबी पर्वत शृंखला जहां हमारी प्राचीन सभ्यता और संस्कृति का परिचायक है, वहीं पर्यावरण की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। इसको संरक्षित करने का कार्य प्रदेश सरकार ने शुरू कर दिया है। प्रदेश के हिस्से में जितना भी अरावली क्षेत्र आता है, उसको हराभरा करने का प्रयास शुरू हो गया है। 

अरावली पहाड़ियों पर होने वाले अवैध खनन को रोकने के लिए सरकार ने सख्ती से कदम उठाना शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं, अरावली पर्वतमाला क्षेत्र की जमीनों पर जिन लोगों ने अवैध कब्जे करके मकान, दुकान या फार्म हाउस बनवा लिया था, वन विभाग और नगर निगम ने संयुक्त रूप से उसे ढहाना शुरू कर दिया है। यह तो स्वाभाविक है कि अरावली क्षेत्र पर कब्जा करने वाले कोई साधारण व्यक्ति तो रहे नहीं होंगे। जिनकी सत्ता और शासन पर पकड़ रही होगी, वही अरावली क्षेत्र में कब्जा करने की हिम्मत कर पाए होंगे। सरकार ने फरीदाबाद सहित अन्य क्षेत्रों में बिना किसी भेदभाव के सारे अवैध मकान और फार्म हाउसों को ढहा दिया है। 

इसके साथ-साथ अरावली क्षेत्र में वन्य जीवों के संरक्षण, पर्यावरण को बचाने और स्थानीय लोगों को रोजगार मुहैया कराने के लिए जंगल सफारी परियोजना शुरू करने का फैसला लिया है। पहले इस काम को पर्यटन विभाग को सौंपा गया था, लेकिन अब यह दायित्व वन विभाग निभाएगा। इसके लिए प्रदेश के वन मंत्री राव नरबीर सिंह और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी नागपुर के गोरेवाड़ा सफारी और गुजरात के वनतारा जंगल सफारी का दौरा कर चुके हैं।

 इन सफारियों में वन्य जीव-जंतुओं को किस तरह रखा जाता है, उनकी देखभाल कैसे की जाती है, उनके आहार आदि की व्यवस्था किस तरह करनी चाहिए, इन सबके बारे में जानकारी ली जा चुकी है। जंगल सफारी पूरा होने से जहां वन क्षेत्र का संरक्षण हो पाएगा, वहीं स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा। जब दूरदराज से पर्यटक जंगल सफारी घूमने आएगा, तो स्वाभाविक रूप से लोगों की आय बढ़ेगी। हरियाणा सरकार की महत्वाकांक्षी जंगल सफारी परियोजना और अरावली ग्रीन वाल प्रोजेक्ट के पूरा हो जाने पर अरावली क्षेत्र की तस्वीर ही बदल जाएगी। 

इन दोनों परियोजनाओं के पूरा होने के बाद न केवल अवैध खनन पर रोक लगेगी, बल्कि पेड़ों की अवैध कटाई पर भी लगाम लग जाएगी। यही नहीं, अरावली की घाटियों में जो कूड़ा-करकट डालकर उसके अस्तित्व से खिलवाड़ किया जा रहा है, वह भी रुकेगा। अरावली ग्रीन वॉल प्रोजेक्ट और जंगल सफारी परियोजना पर्यावरणीय दृष्टिकोण से मील का पत्थर साबित होगी।

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