Friday, June 20, 2025

अपनी खोज के लिए उम्रकैद झेली

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

गैलीलियो गैलिली वह खगोल विज्ञानी थे जिन्होंने कॉपरनिक्स के सिद्धांतों का समर्थन किया था। इसी वजह से उन्हें चर्च का कोपभाजन बनना पड़ा। गैलीलियो का जन्म 15 फरवरी 1564 को इटली के पीसा नामक शहर में हुआ था। यह बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे। लेकिन गरीबी की चलते गैलीलियो की पढ़ाई बीच में ही रोक दी गई थी। इनके पिता विन्सौन्जो गैलिली एक जाने माने संगीतज्ञ थे, लेकिन कमाई कम होने की वजह से उन्हें अपने बेटे की पढ़ाई छुड़ाकर काम-धंधे में लगाना पड़ा ताकि कुछ कमाई हो सके। 

गैलीलियो कपड़े के धंधे में लग गए। अपनी प्रतिभा के बल पर उन्होंने कपड़े के धंधे में काफी अच्छी कमाई की और इसका नतीजा यह हुआ कि उन्हें दोबारा स्कूली शिक्षा शुरू करने का अवसर मिला। धीरे-धीरे उनकी रुचि विज्ञान में बढ़ती गई। उन्होंने प्रकाश की गति पता लगाने का प्रयास किया। वह अपने एक सहायक के साथ पहाड़ की दो चोटियों पर लालटेन लेकर जाते थे और दूरी के हिसाब से प्रकाश गति पता करने का प्रयास करते थे। 

वास्तविक प्रकाश की गति का पता बाद में अल्बर्ट आइंस्टीन ने लगाया, लेकिन गैलीलियो को आधुनिक विज्ञान का पिता होने का श्रेय आइंस्टीन ने दिया। बाद में गैलीलियो ने जब एक बड़ी दूरबीन बनाकर ग्रहों की चाल देखकर कहा कि पृथ्वी सहित सभी ग्रह सूर्य का चक्कर लगाते हैं, तो चर्च इनसे नाराज हो गया। यह बात निकोलस कॉपरनिकस पहले ही साबित कर चुके थे। 

लेकिन उस समय के चर्च और ईसाई धर्माचार्य यह मानते थे कि ब्रह्मांड का केंद्र पृथ्वी है और पृथ्वी के चारों ओर सूर्य और दूसरे ग्रह चक्कर लगाते हैं। इसके बाद गैलीलियो को कैद कर लिया गया। माफी मांगने पर भी जीवन भर नजरबंद रहे।

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