Wednesday, June 25, 2025

अपनी बुराई सुनकर भी शांत रहे देकार्त

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

फ्रांस के महान दार्शनिक और गणितज्ञ रेने देकार्त को तर्कवादी दर्शन का अग्रदूत माना जाता है। देकार्त ने दर्शन को विज्ञान की ओर ले जाने का प्रयास किया था। देकार्त का जन्म फ्रांस के तुरेन नामक नगर में 31 मार्च 1596 में हुआ था। सन 1616 में रेने देकार्त ने कानून की पढ़ाई पूरी करके डिग्री ली थी। अपने पारिवारिक व्यवसाय में पूरा समय देने के स्थान पर रेने ने यात्रा और अध्ययन में अधिक समय लगाया। सन 1618 में वे हॉलैंड गए और सेना में अवैतनिक रूप से अधिकारी का दायित्व निभाया। 

देकार्त का बचपन अपनी दादी के साथ बीता था, लेकिन वह शरीर के मामले में काफी दुर्बल थे। जब देकार्त को अपनी गणितीय और दार्शनिक सिद्धांतों की वजह से काफी प्रसिद्धि मिल गई तो इनके कई शिष्य हो गए। एक बार की बात है। इनसे एक व्यक्ति मिलने आया। उसने बातचीत के दौरान देकार्त की बुराई करनी शुरू कर दी। आमतौर पर देकार्त हमेशा शांत ही रहते थे। 

वह क्रोध करने से हमेशा बचते रहते थे। उस व्यक्ति की बात सुनकर देकार्त के शिष्य बहुत नाराज हुए। वह उस व्यक्ति को सबक सिखाने के लिए तैयार हुए, तो देकार्त ने उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया। वह व्यक्ति अपने मन की भड़ास निकालकर जब चला गया, तो उनके एक शिष्य ने कहा कि आपने उस व्यक्ति को जवाब क्यों नहीं दिया? वह आपको इतना भला बुरा कहता रहा, लेकिन आप चुपचाप सुनते रहे। 

इसके बाद देकार्त ने अपने शिष्यों से कहा कि तुमने इतने साल मेरे साथ रहकर यही सीखा है। तब उनके एक शिष्य ने पूछा कि यदि हमसे कोई खराब व्यवहार करते, तोहमें क्या करना चाहिए? देकार्त ने कहा कि अपने को इतना ऊपर उठा लो कि बुरा व्यवहार तुम्हें छू ही नहीं सके। जीवन में कामयाबी का यही मार्ग है।

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