कौन हैं यह औरतें
जो गाहे बगाहे, नंगी हो जाती हैं
आतंक और युद्ध के खिलाफ।
क्या तनिक भी लज्जा नहीं आती
सड़कों, बीच चौराहों और हजारों लोगों के सामने
कपड़े उतारते हुए।
जो गाहे बगाहे, नंगी हो जाती हैं
आतंक और युद्ध के खिलाफ।
क्या तनिक भी लज्जा नहीं आती
सड़कों, बीच चौराहों और हजारों लोगों के सामने
कपड़े उतारते हुए।
युद्ध और आतंक के खिलाफ
बार-बार नंगी होने वाली औरतों
चाहे तुम मणिपुर की हो, पेरिस की हो या एस्टोनिया की
कोई फर्क नहीं पड़ता है किसी पर
तुम्हारे नंगी हो जाने से
तुम्हारा नंगापन तनिक भी विचलित नहीं करता
ना सभ्य किंतु अमानवीय समाज को
ना बेशर्म तानाशाह को
ना पूंजीपतियों की दलाली करने वाले
तमाम मुल्कों के राष्ट्राध्यक्षों को
तुम्हारे नंगेपन को
देसी-विदेशी मीडिया चटकारे लेकर परोस देता है
सारी दुनिया के सामने
और तब तुम्हारा नंगापन हो जाता है लज्जित
समाज की नंगई के सामने।
युद्ध और आतंकवाद
शोषितों, पीड़ितों के लिए होता है त्रासद
पूंजीपतियों और उनके दलालों के लिए
युद्ध और आतंकवाद है एक व्यापार
युद्ध और आतंकवाद खत्म नहीं करना चाहती
मुनाफे पर आधारित बिकाऊ माल की अर्थव्यवस्था।
युद्ध के खिलाफ प्रदर्शन करने वाली औरतें
नंगी होने की जगह
उठा लेतीं हथौड़ा, गैंती, फावड़ा, बेल्चा, हंसिया
और खोद डालतीं उस व्यवस्था की नींव
जो युद्ध और आतंकवाद को देती है जन्म
जो करती है उन्हें, नंगी होने पर मजबूर।
कोई फर्क नहीं पड़ता है किसी पर
तुम्हारे नंगी हो जाने से
तुम्हारा नंगापन तनिक भी विचलित नहीं करता
ना सभ्य किंतु अमानवीय समाज को
ना बेशर्म तानाशाह को
ना पूंजीपतियों की दलाली करने वाले
तमाम मुल्कों के राष्ट्राध्यक्षों को
तुम्हारे नंगेपन को
देसी-विदेशी मीडिया चटकारे लेकर परोस देता है
सारी दुनिया के सामने
और तब तुम्हारा नंगापन हो जाता है लज्जित
समाज की नंगई के सामने।
युद्ध और आतंकवाद
शोषितों, पीड़ितों के लिए होता है त्रासद
पूंजीपतियों और उनके दलालों के लिए
युद्ध और आतंकवाद है एक व्यापार
युद्ध और आतंकवाद खत्म नहीं करना चाहती
मुनाफे पर आधारित बिकाऊ माल की अर्थव्यवस्था।
युद्ध के खिलाफ प्रदर्शन करने वाली औरतें
नंगी होने की जगह
उठा लेतीं हथौड़ा, गैंती, फावड़ा, बेल्चा, हंसिया
और खोद डालतीं उस व्यवस्था की नींव
जो युद्ध और आतंकवाद को देती है जन्म
जो करती है उन्हें, नंगी होने पर मजबूर।
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