Friday, June 27, 2025

बुद्धिस्ट सर्किट विकसित होने पर हरियाणा में भी गूंजेगी बुद्ध की वाणी

अशोक मिश्र

हमारा देश आज भी पूरी दुनिया में बुद्ध के देश के नाम से ही जाना जाता है। महावीर, गुरुनानक, संत रविदास और कबीर जैसे महापुरुषों ने इस धरती पर जन्म लिया था। इनकी शिक्षाओं और विरासत को सहेजना अब हम सबका कर्तव्य है। महात्मा बुद्ध ने जो अहिंसा और शांति का पाठ पढ़ाया था, उसको सहेजना और पूरी दुनिया में फैलाना ही हम सबका पुनीत कर्तव्य है। यह खुशी की बात है कि हरियाणा की सैनी सरकार ने बौद्ध सर्किट बनाने का सराहनीय फैसला लिया है। 

प्रदेश में बुद्धिस्ट सर्किट विकसित होने से न केवल प्रदेश की ख्याति वैश्विक स्तर पर बढ़ेगी, बल्कि देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों से आय भी होगी। यही भी संभव है कि भविष्य में हरियाणा के बौद्ध पर्यटन स्थल विश्व धरोहरों में शामिल कर लिया जाए। यदि ऐसा होता है, तो यह हरियाणा के लिए गौरव की बात होगी। सरकार ने इस बौद्ध सर्किट बनाने की दिशा में कदम उठाना शुरू कर दिया है। इसके लिए जो प्रयास किए जाने चाहिए, सैनी सरकार ने वह करना भी शुरू कर दिया है। 

प्रदेश में जहां जहां भगवान बुद्ध के चरण पड़े थे अर्थात वह अपने जीवन काल में प्रदेश के जिन स्थानों पर आए थे, उन उन स्थानों पर बौद्ध परिपथ बनाया जाएगा। वैसे महात्मा बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद जीवन भर देश भर में भ्रमण ही किया था। इसी क्रम में वह हरियाणा भी आए थे। वैसे भी महात्मा बुद्ध ने ज्ञान प्राप्ति के बाद जीवन भर भ्रमण ही किया था। वह चार महीने के वर्षाकाल में एक जगह रुक जाते थे। वहीं पर लोगों को उपदेश दिया करते थे। बाकी नौ महीनों में वह देश के विभिन्न नगरों-गांवों में लोगों को शांति और अहिंसा का पाठ पढ़ाते आगे बढ़ते जाते थे। इसी क्रम में वह हरियाणा भी आए थे। 

इसका उल्लेख उनके समकालीन और परिवर्ती साहित्य में मिलता है। अब जब सैनी सरकार ने बौद्ध परिपथ की स्थापना के लिए उन उन स्थानों को चिन्हित कर लिया है, जिन जिन स्थानों का उल्लेख पाली भाषा में लिखी गई त्रिपिटक और मूलसर्वास्तिवाद विनय जैसे ग्रंथों में किया गया है। इन प्राचीन ग्रंथों के मुताबिक महात्मा बुद्ध ने तीन बार कुरु की यात्रा की थी और उन्होंने आम जनता के बीच गूढ़ उपदेश भी दिए थे। बौद्ध साहित्य के विद्वानों के मुताबिक, पालि ग्रंथों में उल्लिखित कई स्थान आज भी हरियाणा में मौजूद हैं। 

गौतम बुद्ध के चरण चिन्हों को
सम्राट अशोक ने टोपरा कलां और अग्रोहा में अभिलेख स्तंभ लगाकर यह प्रमाणित किया कि महात्मा बुद्ध यहां आए थे। सैनी सरकारी की बौद्ध सर्किट में चनेटी, आदिबद्री, ब्रह्मसरोवर, असंध, अग्रोहा जैसे तमाम स्थलों को शामिल करने की योजना है। हरियाणा भी बौद्धों के लिए महत्वपूर्ण स्थल होने वाला है।

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