Monday, June 23, 2025

देश में बढ़ रही रिश्ते-नातों को शर्मसार करने वाली घटनाएं

अशोक मिश्र

महाकवि गोस्वामी तुलसी दास ने आज से लगभग चार-साढ़े सौ साल पहले लिखा था-अनुज वधू, भगिनी, सुत नारी, तिनहि विलोकत पातक भारी। उनके कहने का मतलब यह था कि छोटे भाई की पत्नी, बहन और पुत्रवधू पर जो कुदृष्टि डालता है,वह बहुत बड़े पाप का भागी होता है। तुलसीदास ने ऐसे कार्यों को अतिपातक की श्रेणी में रखा है। लेकिन आज हालात ऐसे हो गए हैं कि रिश्ते-नातों की कोई कदर ही नहीं रह गई है। समाज में बस मुट्ठी भर लोग जानवरों जैसा व्यवहार करने लगे हैं। 

फरीदाबाद के रोशन नगर में एक ससुर ने अपनी बहू से छेड़छाड़ की। बहू ने विरोध किया, तो ससुर ने उसका गला दबाकर मार डाला। हत्या के बाद जब घर वालों को इस बात की जानकारी हुई, तो पत्नी, पुत्र और पुत्री आदि ने अपने पति और पिता को लताड़ने या दोषी ठहराने की जगह बहू के शव को ठिकाने लगाने में मदद की। ससुराल वालों ने घर के सामने सड़क पर काफी गहरा गड्ढा खोदा और उस गड्ढे में रात को शव दफना दिया। सुबह मिस्त्री बुलाकर उस गड्ढे को पक्का करवा दिया ताकि किसी को पता न चले। 

इतना ही नहीं दो दिन बाद मृतका के पति ने थाने जाकर अपनी पत्नी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराते हुए कहीं चली जाने की बात कही। जब मायके वालों को शक हुआ, तो उन्होंने पुलिस से गुहार लगाई। पुलिस जब सक्रिय हुई, तब जाकर मामला खुला। ऐसी घटनाएं अब आम हो चली हैं। कहीं कोई अपने पति की हत्या करने में लगा हुआ है, तो कहीं कोई अपनी पत्नी की। ज्यादातर हत्याएं अवैध संबंधों को लेकर हो रही हैं। इन दिनों राजा रघुवंशी की हत्या का मामला काफी गरमाया हुआ है। 

पत्नी सोनम ने अपने अवैध संबंधों के चलते शादी के कुछ ही दिन बाद पति राजा की मेघालय में अपने प्रेमी और उसके साथियों के साथ मिलकर हत्या करवा। रिश्तों को तार-तार करने वाली घटनाएं आए दिन समाज में घटती रहती हैं। इसके लिए सिर्फ औरतें ही दोषी हों, यह सही नहीं है। स्त्री-पुरुष तो रिश्तों को तार-तार कर रहे हैं। कहने को तो समाज विज्ञान, कला, आर्थिक और सामाजिक तौर पर काफी विकास कर रहा है। देश और दुनिया में नए-नए आविष्कार हो रहे हैं जिससे जीवन काफी सरल हो रहा है, लेकिन कुछ आविष्कारों की वजह से हमारे समाज में नैतिक पतन भी काफी बढ़ा है। 

आधुनिकता के नाम पर यौन शुचिता को पुराने जमाने की मानकर स्त्री और पुरुष उच्छृंखलता को बढ़ावा दे रहे हैं। कहीं कोई स्त्री अपने होने वाले दामाद को लेकर फरार हो जा रही है, तो कहीं भाई-बहन आपस में ही विवाह कर ले रहे हैं। ऐसा नहीं है, पहले ऐसा नहीं होता था, लेकिन अब तो लगता है कि जैसे ऐसे संबंधों की बाढ़ ही आई हुई है।

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