Saturday, June 28, 2025

स्कूल छूटा, लेकिन लिखने पढ़ने का शौक नहीं छूटा

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

ग्राजिया डेलेडा इटली की महान कथाकार, नाटककार और कवयित्री थीं। उनका जिस जमाने में जन्म हुआ था, उस समय लड़कियों को बहुत ज्यादा पढ़ाने-लिखाने की परंपरा नहीं थी। ग्राजिया का जन्म 27 सितंबर 1875 को इटली के नूरो में हुआ था। 

ग्राजिया के पिता वैसे तो पेशे से वकील थे, लेकिन उनकी सबसे ज्यादा रुचि खेती और व्यापार में थी। वह नूरो शहर के तीन बार मेयर बने थे। यही वजह है कि उनके यहां विभिन्न क्षेत्रों के लोगों का जमघट लगा रहता था। ग्राजिया के पिता कभी-कभार मूड होने पर कविताएं भी लिख लिया करते थे। मेयर होने के नाते उनके पास विभिन्न समुदायों के लोग अपनी समस्याओं को लेकर आते थे। 

ग्राजिया उनकी समस्याओं को बड़े ध्यान से सुनती थीं। बाद में जब ग्राजिया बड़ी हुई तो उन्होंने चोरी छिपे लिखना शुरू किया। चौथी क्लास पास करने के बाद ही उसकी पढ़ाई छुड़ा दी गई थी, लेकिन उसका किताबों में मोह भंग नहीं हुआ था। 13 साल की उम्र में जब उनकी पहली रचना प्रकाशित हुई, तो वह झूम उठी। उसने अपने पिता को वह दिखाया। 

पिता ने भी प्रशंसा में पीठ थपथपाई। फिर एक दिन वह भी आया जब उसकी शादी हो गई और वह शादी के बाद अपने पति पलमीरो मदेसानी के साथ रोम आ गई। उसके लिखने-पढ़ने के शौक में पति मदेसानी ने बाधा नहीं डाली। ग्राजिया ने अपना पहला उपन्यास सार्डीनिया का फूल लिखा। उपन्यास छपते ही पूरी इटली में तहलका मच गया। उसे लोगों ने हाथों हाथ लिया। 

इसके बाद उनका लेखन अनवरत चलता रहा। तत्कालीन इटली का तानाशाह मुसोलिनी भी ग्राजिया का सम्मान करता था। सन 1926 में ग्राजिया डेलेडा को साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया। सन 1936 को इस महान साहित्यकार का निधन हो गया।

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