आज पूरी दुनिया में योग दिवस मनाया जा रहा है। विशाखापट्टनम में तीन लाख लोगों और चालीस देशों के राजनयिकों के साथ पीएम नरेंद्र मोदी ने योग किया। इस बार योग की थीम 'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग' थी। इंडियन काउंसिल फॉर कल्चर रिलेशन्स के मुताबिक, 191 देशों में 1,300 जगहों पर 2,000 से ज्यादा योग कार्यक्रम आयोजित किए गए।
पीएम मोदी ने योग करने के बाद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आज जब दुनिया में अशांति, तनाव और अस्थिरता बढ़ रही है, तो योग शांति की दिशा दिखाता है। कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर स्थित पुरुषोत्तमपुरा बाग में राज्य स्तरीय कार्यक्रम में गवर्नर बंडारू दत्तात्रेय और सीएम नायब सैनी ने योग गुरू बाबा रामदेव के साथ करीब डेढ़ घंटे तक योग किया।
सच कहा जाए तो जिस तरह समाज में अराजकता, हिंसा, यौनाचार और विभिन्न तरह के अपराध हो रहे हैं, ऐसे समय में योग की बहुत बड़ी आवश्यकता है। योग जहां शारीरिक व्याधियों को दूर करने का एक सशक्त माध्यम है, वहीं मानसिक शांति के लिए भी बहुत जरूरी है। वैसे भी योग का अर्थ जोड़ना है। समाज में पिछले कई दशकों से आ रहे विचलन और दुराव को योग ही दूर करने में सक्षम है। योग मन को शांति देने के साथ-साथ सकारात्मकता की ओर व्यक्ति को प्रेरित करता है। योग से ही मन की अशांति और नकारात्मकता को दूर किया जा सकता है। योग किसी जाति, धर्म या संप्रदाय से जुड़ा हुआ नहीं है। यह कोई भी कर सकता है और कहीं पर भी कर सकता है। इसके लिए विशेष संसाधन की भी जरूरत नहीं होती है।
देश और विदेश में जिस तरह योग के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ रही है, उससे यह विश्वास किया जा सकता है कि निकट भविष्य में दुनिया शांति की ओर बढ़ेगी। हमारे देश में योग का प्रवर्तक आदियोगी महादेव को माना जाता है। कहते हैं कि लय और प्रलय को नियंत्रित करने वाले महादेव ने ही दुनिया को योग की शिक्षा दी थी। उन्होंने लोगों को योग से परिचय कराया था। इसके बाद महर्षि पतंजलि ने इस योग को सूत्रबद्ध किया था। योग के संबंध में सबसे पहली लिखित जानकारी वेदों में मिलता है।
आदिदेव महादेव के साथ-साथ कृष्ण, महात्मा बुद्ध और महावीर आदि ने भी योग को विस्तार दिया। इस योग को आगे चलकर सिद्धपंथ, शैवपंथ, नाथपंथ, वैष्णव और शाक्त पंथियों ने अपने-अपने तरीके से विस्तार दिया। योग को जन-जन तक पहुंचाने में हमारे देश के प्राचीन ऋषियों-मुनियों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इन्होंने ही इसे जन-जन में लोकप्रिय बनाया। आज की सबसे बड़ी जरूरत यह है कि इस युद्धरत संसार में योग का विस्तार किया जाए।
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