Tuesday, June 24, 2025

क्रोध पर युवक पा गया विजय

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

जब किसी के सिर पर क्रोध सवार होता है, तो वह अच्छा-बुरा सब कुछ भूल जाता है। क्रोध के चलते कई बार मनुष्य खुद ही अपना बुरा कर बैठता है। यही वजह है कि प्राचीन काल से ही मनुष्य को क्रोध पर विजय पाने की सीख दी गई है। क्रोध पर जिसने नियंत्रण कर लिया, वह अपने जीवन में कुछ भी कर सकता है। एक बार की बात है। 

एक क्रोधी युवक एक संत के पास पहुंचा और बोला कि मैं समाज की सेवा करना चाहता हूं। मुझे समाज की सेवा का मार्ग बताइए। संत ने उस युवक से कहा कि जाओ, पहले तुम नहाकर आओ। फिर मैं तुम्हें कोई काम बताता हूं। यह सुनकर वह युवक नदी पर नहाने चला गया। संत ने आश्रम में सफाई करने वाली


महिला को बुलाया और कहा कि जो यह युवक जा रहा है, जब यह वापस लौटे, तो तुम इस तरह झाड़ू लगाना कि धूल उस पर जाकर गिरे। लेकिन सावधान रहना, यह तुम पर हमला भी कर सकता है। 

जैसे ही वह युवक नहाकर वापस आश्रम आया, उस महिला ने इस तरह झाड़ू लगाई कि वह फिर गंदा हो गया। यह देखकर युवक को गुस्सा आया और वह पत्थर उठाकर महिला को मारने दौड़ा, लेकिन सतर्कमहिला पहले ही भाग खड़ी हुई। तब संत ने उस युवक से कहा कि तुम अगले साल आना। एक साल बाद वह युवक फिर आया, तो उसके साथ फिर वही हुआ जो एक साल पहले हो चुका था। 

इस बार युवक ने उसे खूब खरीखोटी सुनाई। संत ने फिर एक साल बाद आने को कहा। जब तीसरी बार युवक आया, तो महिला ने फिर वैसा किया, तो उस युवक ने उस महिला के पैर पकड़ते हुए कहा कि आप ही मेरी सच्ची गुरु हैं। आपने मुझे क्रोध पर नियंत्रण करना सिखाया है। यह देखकर संत ने उस युवक को गले लगा लिया और उसे समाज सेवा का काम बता दिया।

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