हरियाणा में बिजली दरों में बढ़ोतरी से सियासत गरमाई हुई है। जहां सत्ता पक्ष बिजली बढ़ोतरी का ठीकरा उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम के सिर पर फोड़कर अपना पल्ला झाड़ रहा है, वहीं विपक्षी दलों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ हल्ला बोल दिया है। बिजली बिलों में हुई बढ़ोतरी को जन विरोधी करार देकर वह सरकार को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास कर रहा है। उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम ने एक अप्रैल से बिजली की दरों में बढ़ोतरी कर दी है। पहले बिजली की दरें स्लैब वाइज तय थीं। 50 यूनिट या उससे अधिक खपत पर 2.50 रुपये से 6.30 रुपये प्रति यूनिट तक चार्ज लगता था।
अब पांच किलोवाट से अधिक लोड होने पर 6.50 रुपये से 7.50 रुपये प्रति यूनिट तक वसूला जा रहा है। जिनका बिल पहले एक हजार रुपये आता था, अब नई दरों के हिसाब से चार हजार तक आ रहा है। नई बिजली दरों से शहरी उपभोक्ताओं को कुछ ज्यादा ही भुगतान करना पड़ रहा है। वहीं ग्रामीण उपभोक्ताओं को कुछ मायने में राहत भी मिली है।
पांच किलोवाट तक के स्वीकृत लोड वाले उपभोक्ताओं को राहत प्रदान की गई है। जो उपभोक्ता तीन सौ यूनिट से कम बिजली खर्च करते हैं, उनसे न्यूनतम मासिक किराया नहीं वसूला जा रहा है। बिजली की दरें बढ़ने का किसानों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। नलकूप कनेक्शन के लिए पहले यूएचबीवीएन छह रुपये 48 पैसे प्रति यूनिट किसानों से वसूलती थी। अब यूएचबीवीएन ने नलकूप कनेक्शन के लिए सात रुपये 35 पैसे प्रति यूनिट की दर से वसूलने का फैसला किया है। लेकिन सरकार ने नलकूप कनेक्शन वाली बिजली के लिए निगमों को सात रुपये 25 पैसे सब्सिडी देने का फैसला किया है।
इस हिसाब से किसानों को नलकूप कनेक्शन के लिए केवल दस पैसे प्रति यूनिट देने होंगे। प्रदेश के कोल्ड स्टोरेज मालिकों को भी सरकार ने काफी राहत प्रदान की है। अब कोल्ड स्टोर संचालित करने वाले लोगों को पहले की अपेक्षा काफी कम बिजली बिल का भुगतान करना होगा। पहले बिजली निगम कोल्ड स्टोर से सात रुपये 50 पैसे प्रति यूनिट की दर से वसूलती थी। लेकिन अब 20 किलोवाट वाले स्टोर से केवल चार रुपये 50 पैसे ही प्रति यूनिट की दर से वसूले जाएंगे। अगर कोई कोल्ड स्टोर बीस किलोवाट से अधिक बिजली खर्च करता है, तो उससे साढ़े छह रुपये प्रति यूनिट लिए जा रहे हैं।
बिजली की दरों में सबसे ज्यादा खामियाजा छोटे और कुटीर उद्योग चलाने वालों को होगा। बिजली दरों में बढ़ोतरी के चलते उनके उत्पादों की लागत बढ़ जाएगी जिससे उनको अपना उत्पाद बेचने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।
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