-अशोक मिश्र
घर में घुसते ही घरैतिन को पंचम सुर में गाता देखकर मैं समझ गया कि उनकी यह खुशी मेरी जेब पर भारी पडऩे वाली है। मैंने बनावटी उत्साह प्रकट करते हुए पूछा, ‘अरे साढू भाई का फोन-वोन आया था क्या? जो तुम सूरजमुखी की तरह चमक रही हो?’ अपने जीजा के बारे में पूछे जाने पर घरैतिन लहराकर बोलीं, ‘अरे नहीं..बात दरअसल यह है कि हम सभी बहुत जल्दी करोड़पति बनने वाले हैं। आह..कितने हजार के नोट मिलकर दो करोड़ रुपये बनते हैं। मैं तो सोच-सोचकर खुशी से मरी जा रही हूं। अभी जब यह हाल है, तो जब दो करोड़ रुपये का ढेर मेरे सामने होगा, तो कहीं खुशी के मारे गश खाकर न गिर पड़ूं। अगर ऐसा हो, तो तुम मुझे संभाल लोगे न!’ घरैतिन की बात सुनकर मैं चौंक उठा, ‘क्या..कहीं कोई लॉटरी-वॉटरी लग गई है क्या? करोड़पति कैसे हो जाओगी?’
मेरी बात सुनकर घरैतिन के चेहरे पर एक रंग आकर चला गया। बोलीं, ‘इसीलिए कहती हूं कि खबरिया चैनल देखा करो..अखबार-शखबार पढ़ा करो। सिर्फ कागज काला करने से जिंदगी नहीं चलती। आपको याद है..चुनाव से पहले बाबा रामदेव ने कहा था कि मोदी सरकार बनी, तो छह महीने के भीतर सरकार विदेश में जमा सारा काला धन देश में लाकर अपने देश की गरीब जनता में बांट देगी। मोदी साहब भी तो उन दिनों पानी पी-पीकर सरदार जी को काला धन वापस न लाने के लिए कोसते रहते थे। तो किस्सा कोताह यह कि मोदी साहब की सरकार बन गई। कुछ ही दिन में मोदी सरकार के छह महीने भी पूरे होने वाले हैं। बस..कुछ ही दिनों में हम सभी गरीब करोड़पति हो जाएंगे। हो जाएंगे न..!’ पत्नी की बात पर मुझे गुस्सा आ गया। मैंने कहा, ‘नहीं होंगे करोड़पति। वह सब बाबा रामदेव और मोदी जी का चुनावी रसगुल्ला था। काला धन नहीं आने वाला देश में। सरकार कह रही है कि अगर विदेश में जमा काला धन यहां आया, तो वहां के लोग भूखों मर जाएंगे। अपने यहां तो लोगों को दो रोटी खाने के बाद पेट भर पानी पीकर सोने की आदत है। जैसे अब तक रहते आए हैं, वैसे आगे भी रह लेंगे।’ इतना कहकर मैं घर से बाहर हो गया।
(आज दिनांक 28 अक्टूबर 2014 को अमर उजाला में प्रकाशित एक व्यंग्य)
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