अशोक मिश्र
इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाए जा रहे 'स्वच्छ भारतÓ अभियान की बड़ी चर्चा है। २ अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी शुरुआत खुद झाड़ू लगाकर की थी। वाराणसी के अस्सी घाट में भी उन्होंने कुदाल चलाकर लोगों को स्वच्छ भारत अभियान से जोडऩे की कोशिश की है। उन्होंने ऐसा करके इस देश के करोड़ों लोगों को सफाई अभियान से जोडऩे की कोशिश की। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर कार्यक्रम शुरू करने के पीछे मंशा यही थी कि भारत को स्वच्छ रखकर ही महात्मा गांधी को सच्ची शृद्धांजलि दी जा सकती है। यह सर्वविदित है कि आजादी से पूर्व महात्मा गांधी ने भी हरिजनों की सामाजिक दशा से व्यथित होकर देशवासियों से अपना शौचालय खुद साफ करने को प्रेरित किया था ताकि देश के करोड़ों हरिजन शौचालय साफ करने जैसे अमानवीय पेशे से मुक्त हो सकें और दूसरी जाति के लोगों को भी उनकी पीड़ा का आभास हो सके। गांधी जी खुद अपना शौचालय साफ करते थे। यह सही है कि जब तक आसपास का वातावरण स्वच्छ न हो, स्वस्थ भारत की कल्पना नहीं की जा सकती है। स्वच्छ भारत अभियान से देश में साफ-सफाई के प्रति कितनी जागरूकता पैदा हुई, इसकी समीक्षा का वक्त अभी नहीं आया है। हां, एक बात जरूर देखने में आ रही है कि लोग इस मुहिम से जुड़ रहे हैं। क्रिकेट, फुटबॉल, सिनेमा जगत, उद्योग जगत से लेकर राजनीतिक हलके के लोग इस अभियान को हाथों हाथ ले रहे हैं। स्कूल-कालेजों से लेकर गली-मोहल्ले के लोग भी स्वच्छ भारत अभियान में भाग लेकर अपनी सहभागिता सुनिश्चित कराने में जुटे हुए हैं। रेलवे स्टेशन से लेकर हवाई अड्डे तक झाड़े-बुहारे जा रहे हैं। गली-कूचों में बिखरा रहने वाला कूड़ा-कचरा उठाया जा रहा है। लेकिन यह सब हो सिर्फ एक दिन रहा है। आम तौर पर देखने में आ रहा है कि जिस जगह पर स्वच्छता अभियान एक दिन पहले चलाया गया था, मीडिया को बुलाकर फोटो शूट करवाया गया था, अगले दिन उस जगह की हालत वैसी ही नजर आ रही थी, जैसी स्वच्छता अभियान चलाने से पहले थी।
ऐसे अभियानों की परिणति ऐसी ही होती है। दरअसल, मीडिया में प्रचार के चलते 'स्वच्छ भारत अभियानÓ को भी एक मनोरंजन की ²ष्टि से लिया जा रहा है। कुछ लोग तो सिर्फ मनोविनोद और प्रचार पाने के लिए सफाई अभियान चलाने का ढोंग कर रहे हैं। मीडिया में अपना चेहरा दिखाने के लिए जायज-नाजायज तरीके अपनाए जा रहे हैं। कुछ ऐसा ही हुआ पिछले दिनों दिल्ली में। इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर के सामने की सड़क पर दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय और कभी 'आपÓ की नेत्री रही शाजिया इल्मी ने बाकायदा मीडिया के सामने स्वच्छ भारत अभियान के तहत झाड़ू लगाया, फोटो खिंचवाया और चले गए। बाद में एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र के फोटोग्राफर ने खुलासा किया कि यह सब कुछ वैसा नहीं था, जैसा दुनिया को दिखाया गया। पहले कूड़ा लाकर बिखेरा गया और फिर इन नेताओं से साफ करवाकर वाहवाही लूटी गई। अब भाजपा इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर की घटना से अपना संबंध मानने से इनकार कर रही है। हो सकता है कि जिन भाजपा नेताओं ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया है, उनकी ऐसी मंशा न रही हो, लेकिन जो कुछ हुआ, वह हास्यास्पद ही है। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सामान्य बात को भी विशेष बना देने की कला जानते हैं। वे अपनी छवि बनाने के लिए मीडिया का उपयोग करना भी जानते हैं। स्वच्छ भारत अभियान चलाने के पीछे भले ही उनकी मंशा प्रचार पाने की न रही हो, लेकिन जिस तरह लोग मनोरंजन की ²ष्टि से इससे जुड़ रहे हैं, वह अच्छा नहीं है। जब तक लोगों की मानसिकता नहीं बदलेगी, तब तक स्वच्छ भारत अभियान का ही नहीं, किसी भी अभियान का ऐसा ही हाल होगा। जब तक व्यक्ति के अंत:करण में यह भावना पैदा नहीं होगी कि हमें अपने आसपास का वातावरण साफ-सुथरा रखना चाहिए, गली-मोहल्ला चमकना चाहिए, तब तक ऐसे अभियानों से कुछ होने वाला नहीं है।
इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाए जा रहे 'स्वच्छ भारतÓ अभियान की बड़ी चर्चा है। २ अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी शुरुआत खुद झाड़ू लगाकर की थी। वाराणसी के अस्सी घाट में भी उन्होंने कुदाल चलाकर लोगों को स्वच्छ भारत अभियान से जोडऩे की कोशिश की है। उन्होंने ऐसा करके इस देश के करोड़ों लोगों को सफाई अभियान से जोडऩे की कोशिश की। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर कार्यक्रम शुरू करने के पीछे मंशा यही थी कि भारत को स्वच्छ रखकर ही महात्मा गांधी को सच्ची शृद्धांजलि दी जा सकती है। यह सर्वविदित है कि आजादी से पूर्व महात्मा गांधी ने भी हरिजनों की सामाजिक दशा से व्यथित होकर देशवासियों से अपना शौचालय खुद साफ करने को प्रेरित किया था ताकि देश के करोड़ों हरिजन शौचालय साफ करने जैसे अमानवीय पेशे से मुक्त हो सकें और दूसरी जाति के लोगों को भी उनकी पीड़ा का आभास हो सके। गांधी जी खुद अपना शौचालय साफ करते थे। यह सही है कि जब तक आसपास का वातावरण स्वच्छ न हो, स्वस्थ भारत की कल्पना नहीं की जा सकती है। स्वच्छ भारत अभियान से देश में साफ-सफाई के प्रति कितनी जागरूकता पैदा हुई, इसकी समीक्षा का वक्त अभी नहीं आया है। हां, एक बात जरूर देखने में आ रही है कि लोग इस मुहिम से जुड़ रहे हैं। क्रिकेट, फुटबॉल, सिनेमा जगत, उद्योग जगत से लेकर राजनीतिक हलके के लोग इस अभियान को हाथों हाथ ले रहे हैं। स्कूल-कालेजों से लेकर गली-मोहल्ले के लोग भी स्वच्छ भारत अभियान में भाग लेकर अपनी सहभागिता सुनिश्चित कराने में जुटे हुए हैं। रेलवे स्टेशन से लेकर हवाई अड्डे तक झाड़े-बुहारे जा रहे हैं। गली-कूचों में बिखरा रहने वाला कूड़ा-कचरा उठाया जा रहा है। लेकिन यह सब हो सिर्फ एक दिन रहा है। आम तौर पर देखने में आ रहा है कि जिस जगह पर स्वच्छता अभियान एक दिन पहले चलाया गया था, मीडिया को बुलाकर फोटो शूट करवाया गया था, अगले दिन उस जगह की हालत वैसी ही नजर आ रही थी, जैसी स्वच्छता अभियान चलाने से पहले थी।
ऐसे अभियानों की परिणति ऐसी ही होती है। दरअसल, मीडिया में प्रचार के चलते 'स्वच्छ भारत अभियानÓ को भी एक मनोरंजन की ²ष्टि से लिया जा रहा है। कुछ लोग तो सिर्फ मनोविनोद और प्रचार पाने के लिए सफाई अभियान चलाने का ढोंग कर रहे हैं। मीडिया में अपना चेहरा दिखाने के लिए जायज-नाजायज तरीके अपनाए जा रहे हैं। कुछ ऐसा ही हुआ पिछले दिनों दिल्ली में। इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर के सामने की सड़क पर दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय और कभी 'आपÓ की नेत्री रही शाजिया इल्मी ने बाकायदा मीडिया के सामने स्वच्छ भारत अभियान के तहत झाड़ू लगाया, फोटो खिंचवाया और चले गए। बाद में एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र के फोटोग्राफर ने खुलासा किया कि यह सब कुछ वैसा नहीं था, जैसा दुनिया को दिखाया गया। पहले कूड़ा लाकर बिखेरा गया और फिर इन नेताओं से साफ करवाकर वाहवाही लूटी गई। अब भाजपा इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर की घटना से अपना संबंध मानने से इनकार कर रही है। हो सकता है कि जिन भाजपा नेताओं ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया है, उनकी ऐसी मंशा न रही हो, लेकिन जो कुछ हुआ, वह हास्यास्पद ही है। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सामान्य बात को भी विशेष बना देने की कला जानते हैं। वे अपनी छवि बनाने के लिए मीडिया का उपयोग करना भी जानते हैं। स्वच्छ भारत अभियान चलाने के पीछे भले ही उनकी मंशा प्रचार पाने की न रही हो, लेकिन जिस तरह लोग मनोरंजन की ²ष्टि से इससे जुड़ रहे हैं, वह अच्छा नहीं है। जब तक लोगों की मानसिकता नहीं बदलेगी, तब तक स्वच्छ भारत अभियान का ही नहीं, किसी भी अभियान का ऐसा ही हाल होगा। जब तक व्यक्ति के अंत:करण में यह भावना पैदा नहीं होगी कि हमें अपने आसपास का वातावरण साफ-सुथरा रखना चाहिए, गली-मोहल्ला चमकना चाहिए, तब तक ऐसे अभियानों से कुछ होने वाला नहीं है।
No comments:
Post a Comment