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Sunday, September 7, 2025

बैंकों को धोखाधड़ी का जरिया बना रहे साइबर क्रिमिनल्स

अशोक मिश्र

हरियाणा में साइबर ठगी के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। साइबर ठग नए-नए तरीके अख्तियार करके लोगों को न केवल ठग रहे हैं, बल्कि वह मनीलांड्रिंग और काले धन को सफेद करने में भी लगे हुए हैं। हरियाणा पुलिस की साइबर यूनिट ने पांच सिंतबर को एक मामले का खुलासा किया है। साइबर क्रिमिनल्स ने बैंक आफ इंडिया की पानीपत शाखा में  आर्टिफिशियल ज्वैल्स प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी का खाता खोला। सात महीने तक इस खाते से करोड़ों रुपये का लेन-देन किया गया। 

बताया जाता है कि इस खाते से करीब 52 करोड़ रुपये खाते में जमा किए गए और निकाले गए। जब साइबर क्राइम यूनिट को इस खाते को लेकर शक हुआ, तो उसने कंपनी के बारे में जांच शुरू की। जांच करने पर पता चला कि इस नाम की तो कोई कंपनी ही नहीं है। निदेशक और कार्यालय आदि का पता भी फर्जी निकला। इस खाते में कहां से रुपया आया और कहां गया किसी को पता नहीं है। 

दरअसल, इस तरह के फ्राड पूरे देश में हो रहा हो, तो कोई ताज्जुब नहीं है। हरियाणा साइबर क्राइम यूनिट ने पूरे राज्य में 91 ऐसे म्यूचुअल खातों का पता लगाया है जिसमें करोड़ों रुपये का लेन-देन किया जा रहा है। यह लेन-देन धोखाधड़ी से कमाई गई रकम की हो सकती है। यह तो साइबर क्राइम का एक रूप है। साइबर ठग तो पहले अपना टारगेट फिक्स करते हैं और उसके बाद फेसबुक, इंस्टाग्राम या दूसरे सोशल मीडिया मंच के माध्यम से दोस्ती करते हैं। चिकनी-चुपड़ी बातों में फंसाकर अपने टॉरगेट से छोटा-मोटा निवेश कराते हैं। 

इस पर काफी अच्छा मुनाफा देते हैं। जब शिकार का इन पर विश्वास जम जाता है, तो एक मोटी रकम निवेश करने को कहते हैं। इसके बाद विभिन्न चार्जेज के नाम पर अच्छी खासी रकम वसूली जाती है। इसके बाद जब पीड़ित व्यक्ति इनसे संपर्क करने की कोशिश करता है, तो पता चलता है कि वह ठगा जा चुका है। कुछ मामलों में तो पीड़ित को जान से मारने की धमकी तक दी जाती है। बिना कुछ किए एक मोटी कमाई की लालच में कुछ लोग फंस ही जाते हैं। लोग यह नहीं सोचते हैं कि एक अनजान व्यक्ति उनको धोखा भी दे सकता है। इधर साइबर क्राइम का एक नया रूप सामने आया है-डिजिटल अरेस्ट। 

ऐसे मामलों में अपने टॉरगेट को विभिन्न तरह से डराया जाता है। डिजिटल अरेस्ट व्यक्ति को पुलिस अधिकारी बनकर इस तरह मजबूर कर दिया जाता है कि वह वही करता है, जो उससे करने को कहा जाता है। लाखों रुपये लेने के बाद साइबर ठग रफूचक्कर हो जाते हैं। बाद यदि पीड़ित ने पुलिस या दूसरे सोर्स से पता किया, तो मालूम होता है कि वह ठगा जा चुका है।