अशोक मिश्र
सभी वाणिज्यिक भवनों के लिए यह अनिवार्य है कि वे अपनी साइट के भीतर पर्याप्त पार्किंग स्थान प्रदान करें, जिसमें कवर, खुला या बेसमेंट पार्किंग शामिल है। वाणिज्यिक परियोजनाओं के लिए आवश्यक न्यूनतम पार्किंग आमतौर पर कवर्ड एरिया के प्रत्येक 50 वर्ग मीटर के लिए होती है। मल्टीप्लेक्स या सिनेमाघरों वाली परियोजनाओं के लिए, पार्किंग की आवश्यकता अधिक होती है, जो लगभग 100 वर्ग मीटर कवर्ड एरिया के लिए 3 ईसीएस तक हो सकती है। लेकिन आम तौर पर सरकार द्वारा तय किए गए मानकों पर न तो भवन बनाए जा रहे हैं, न ही पार्किंग का निर्माण किया जा रहा है।
राज्य के लगभग सभी जिलों में अगर पता किया जाए, तो हर जगह पार्किंग की समस्या देखने मिलती है। आमतौर पर देखने में यह आता है कि पार्किंग के अभाव में लोग अपना वाहन सड़क पर ही खड़ा कर देते हैं जिसकी वजह से सड़कों पर जाम लग जाता है। कुछ वाहन चालकों की यह आदत भी होती है कि वह अपने वाहन को आड़ा-तिरछा खड़ा करके शापिंग करने चले जाते हैं। उन्हें दूसरों की सुविधा-असुविधा का खयाल नहीं रहता है। उन्हें अपनी सुविधा से ही मतलब होता है। इस मामले में हर बार वाहन चालकों की ही गलती नहीं होती है। गलियों और मुख्य सड़कों पर बनी दुकानों पर आमतौर पर पार्किंग देखने को नहीं मिलती है। दो मंजिला और तीन मंजिला भवनों में खुली दुकानों में पार्किंग की व्यवस्था नहीं होती है। ऐसी स्थिति में अपने वाहन से खरीदारी करने आए लोग दुकान के सामने ही अपना वाहन खड़ा कर देते हैं।इससे लोग तो परेशान होते ही हैं, दुकानदार को भी परेशानी होती है। यह भी देखने में आता है कि कुछ दुकानदार फुटपाथ की जगह पर अपने उत्पाद रख देते हैं। इससे पैदल चलने वालों को भी परेशानी होती है। वह सड़क पर चलते हैं जिससे वाहनों के लिए जगह कम हो जाती है। यदि सड़कों पर जाम और हादसों से बचना है, तो हर सौ-दो सौ मीटर की दूरी पर सार्वजनिक पार्किंग की व्यवस्था करनी होगी। तभी सड़कें जाम से मुक्त होंगी और लोगों को राहत मिलेगी। स्थानीय निकायों को भी इस मामले में ध्यान रखना होगा।

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