अशोक मिश्रदिल्ली एम्स ने प्रदूषण को लेकर चेतावनी दी है कि दिल्ली में हेल्थ इमरजेंसी जैसे हालात पैदा हो गए हैं। अगर बहुत जरूरी न हो, तो लोगों को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। बच्चों और बुजुर्गों को बहुत संभलकर रहने की जरूरत है। सच तो यह है कि दिल्ली ही नहीं, एनसीआर, हरियाणा और पंजाब आदि राज्यों की हालत भी लगभग दिल्ली जैसी है। हरियाणा में भी कई जिले प्रदूषण की चपेट में हैं। फरीदाबाद, पलवल, गुरुग्राम जैसे कई शहरों में हालात बेकाबू होने वाले हैं। राज्य सरकार तो प्रयास कर रही है, लेकिन उन प्रयासों का सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आ रहा है।
हरियाणा भी धीरे-धीरे गैस चैंबर में तब्दील होता जा रहा है। इसका दुष्परिणाम यह हो रहा है कि अस्पतालों में वायु प्रदूषण के चलते बीमार होने वालों की भरमार होती जा रही है। सरकारी और निजी अस्पतालों में सांस, हृदय, त्वचा और स्लीप एपनिया जैसी समस्याओं से जूझ रहे लोग पहुंच रहे हैं। हरियाणा में पहले से बीमार मरीजों की हालत गंभीर होती जा रही है, वहीं ऐसे रोगों से पीड़ित नए मरीज भी अस्पताल पहुंच रहे हैं। वायु प्रदूषण का दुष्प्रभाव केवल फेफड़ों पर ही नहीं पड़ता है, बल्कि शरीर के दूसरे अंग भी प्रभावित होते हैं। पूरे प्रदेश में ग्रैप नियमों को लागू किया गया है।
सरकार दावा कर रही है कि ग्रैप नियमों का पालन कराने के लिए स्थानीय निकायों को लगा दिया गया है, लेकिन हकीकत उससे जुदा है। प्रदेश के कई जिलों में धड़ल्ले से निर्माण कार्य हो रहा है। खुलेआम कूड़ा जलाया जा रहा है, लेकिन प्रशासन इन्हें रोक पाने में नाकाम साबित हो रहा है। राज्य की सड़कों पर कई जगह निर्माण कार्य और सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। नतीजा यह है कि सड़कों पर वाहनों के आवागमन के चलते सड़कों पर धूल उड़ रही है। हरियाणा सरकार ने मंगलवार को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक कार्य योजना प्रस्तुत की है।
राज्य सरकार का कहना है कि परिवहन, कृषि, नगर पालिका प्रबंधन और ऊर्जा उत्पादन से जुड़े अल्पकालिक और दीर्घकालिक उपाय लागू किए गए हैं। इससे प्रदेश के कई जिलों में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में सफलता मिली है। विभिन्न विभागों से समन्वय बनाकर कार्य करने से प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने में बहुत हद तक सफलता मिली है। राज्य के कुछ जिलों में डीजल से चलने वाले आटो वाहनों को सड़कों से हटा दिया गया है। इनकी जगह बैटरी से चलने वाले आटो-रिक्शा को प्रमुखता प्रदान की जा रही है। कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा है कि अगले साल तक खेतों में पराली जलाने जैसी घटनाओं को शून्य पर लाने को सरकार प्रयासरत है। नोडल अधिकारियों की सख्ती और किसानों के सहयोग से यह लक्ष्य हर हालत में पूरा कर लिया जाएगा।

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