Wednesday, November 5, 2025

लावारिस पशुओं से मुक्ति की बाट जोह रही हरियाणा की जनता

अशोक मिश्र

मई महीने में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने डेयरी संचालकों और पशु पालकों को चेतावनी देते हुए कहा था कि यदि सड़कों पर लावारिस पशु दिखाई दिए, तो डेयरी संचालकों और पशु पालकों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। इस चेतावनी को डेयरी संचालकों और पशु पालकों ने कितनी गंभीरता से लिया, इसका पता इस बात से चलता है कि आज भी सड़कों पर लावारिस पशु अच्छी खासी संख्या में दिखाई दे जाते हैं। प्रदेश का शायद  ही कोई ऐसा जिला हो, जहां सड़कों और गलियों में लावारिस पशु न दिखाई देते हों। 

सड़कों पर घूमते लावारिस पशु लोगों के लिए भारी मुसीबत का कारण बन रहे हैं। कुछ पशु तो इतने आक्रामक होते हैं कि वह साइकिल या स्कूटी, मोटरसाइकिल सवार को देखते ही मारने दौड़ पड़ते हैं। लावारिस पशु से बचने के प्रयास में कई बार सवार हादसे का शिकार हो जाते हैं। कुछ लोग हादसों में अपनी जान भी गंवा बैठते हैं। कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो ऐसे हादसों में जीवन भर के लिए अपंग हो जाते हैं। 

सरकार के बार-बार चेतावनी देने के बाद भी लोग अपने पशुओं को खुले में छोड़ देने की आदत से बाज नहीं आते हैं। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार ने अगस्त में एक राज्यव्यापी अभियान चलाया था जिसमें हरियाणा की सड़कों को पशु मुक्त करने की बात कही गई थी। प्रदेश सरकार ने स्थानीय निकायों को यह स्पष्ट आदेश दिया था कि वह अपने-अपने इलाकों में घूम रहे लावारिस पशुओं को पकड़कर गौशालाओं में ले जाएं। इनको वहां रखें। इसके लिए राज्य सरकार ने गौशालाओं को आर्थिक सहायता देने का भी प्रावधान किया था। प्रति बछड़े के लिए तीन सौ रुपये, प्रति गाय के लिए छह सौ रुपये और प्रति बैल आठ सौ रुपये देने की व्यवस्था की थी। यह अभियान पूरे एक महीने तक चला था। 

इस अभियान में स्थानीय शहरी निकाय, हरियाणा गौशाला आयोग और पशुपालन विभाग ने हिस्सा लिया था। लेकिन यह अभियान कितना सफल हुआ, इसकी पुष्टि सड़कों पर घूमते लावारिस पशु करते हैं। अभियान के दौरान पाए गए लावारिस पशुओं की टैगिंग की व्यवस्था की गई थी। उनका एक रिकार्ड तैयार करने की भी बात कही गई थी। आज सड़कों पर घूमते कई लावारिस पशुओं में टैग वाले पशु भी देखे गए हैं। सड़कों पर विचरण करने वाले लावारिस पशुओं की वजह से सबसे ज्यादा बच्चे और बुजुर्ग परेशान होते हैं। 

जब दो पशुओं में लड़ाई होती है या पशु ही आक्रामक हो तो इनकी चपेट में आने से बच्चे और बुजुर्ग कम ही बच पाते हैं। ऐसी स्थिति में उनको गंभीर चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है। कई जगहों पर तो लावारिस पशु यातायात व्यवस्था के लिए भी एक संकट साबित होते हैं। लावारिस पशु सड़कों, गलियों में गदंगी भी फैलाते हैं। भोजन की तलाश में यह कूड़ा-करकट भी बिखेर देते हैं।

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