साइबर ठगी अब राष्ट्रीय समस्या बन गई है। देश के विभिन्न हिस्सों में आए दिन कोई न कोई ऐसी खबर जरूर मीडिया में आ जाती है जिससे पता चलता है कि साइबर ठगों ने अमुक आदमी को अपने जाल में फंसाकर ठग लिया। अब तो यह साइबर ठगी एक कदम आगे बढ़कर डिजिटल अरेस्ट तक आ पहुंची है। डिजिटल अरेस्ट और साइबर ठगी की घटनाओं से सुप्रीमकोर्ट तक चिंता जाहिर कर चुका है। प्रशासन को साइबर ठगी के मामले में आरोपियों को जल्दी से जल्दी गिरफ्तार करके पीड़ित को न्याय दिलाने का निर्देश भी दे चुका है।
मीडिया में जिस तरह साइबर ठगी और डिजिटल अरेस्ट की खबरें आ रही हैं, वह वाकई चिंताजनक हैं। अचानक मोबाइल पर मैसेज आता है, उसको क्लिक करने पर बैंकखाते से पैसा गायब हो जाता है। मोबाइल फोन किसी अनजान व्यक्ति की कॉल आती है और वह व्यक्ति अपने को कोई बड़ा पुलिस अधिकारी या खुफिया एजेंसी का बड़ा अधिकारी बनकर ब्लैक या अनधिकृत पैसा बैंक खाते में जमा होने की धमकी देकर पहले डराता है और फिर मामले को रफा-दफा करने के नाम पर एक मोटी रकम की उगाही करता है।
यह प्रक्रिया कुछ घंटे से लेकर कुछ दिनों तक चलती है। बाद में पीड़ित को पता चलता है कि ठगा गया है। पीड़ित के पास पुलिस की शरण में जाने के अलावा कोई विकल्प ही नहीं बचता है। ठगी गई रकम भी आमतौर पर वापस नहीं मिलती है। यदि पुलिस को सही समय पर जानकारी मिल जाए और वह तुरंत सक्रिय हो जाए, तो पैसा वापस दिलाया जा सकता है, लेकिन पीड़ित ही देर से पुलिस के पास पहुंचे, तो क्या किया जा सकता है। इस स्थिति से बचने के लिए हरियाणा पुलिस ने डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विसेज से मिलकर एक मानव संचालन प्रणाली तैयार की है जिसके माध्यम से पीड़ित व्यक्ति को उसकी ठगी गई रकम तुंरत वापस दिलाई जा सकेगी।
यह प्रणाली चार चरणों में पूरी होगी। इसके लिए ठगे गए व्यक्ति को सबसे पहले पुलिस में शिकायत दर्ज करवानी होगी। पीड़ित को जैसे ही पता चले कि उसके साथ ठगी हुई है, वह 1930 पर कॉल करके तुरंत सूचना देनी होगी। शिकायत मिलते ही पुलिस तुरंत उस बैंकखाते को ब्लाक (सीज) करवा देगी। इसके बाद पीड़ित को आवेदन करना होगा। अपने जिले में डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विसेज में एक फार्म भरकर रिफंड की मांग करनी होगी।
इस संबंध में तमाम काजगात तैयार करने में पुलिस अधिकारी मदद करेगा। इसके बाद लोक अदालत में सुनवाई के बाद रिफंड मिल जाएगा। इस मामले में सबसे अच्छी बात यह है कि हरियाणा पुलिस ने मानवीय पहलू को ध्यान में रखते हुए सरकार और न्यायपालिका के सामने सरल और प्रभावी मॉडल पेश किया है। जिसका सरकार और न्यायपालिका ने स्वागत भी किया है।
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