यह हमारे स्वभाव में है कि जब तक कोई समस्या हमारे सिर पर आकर सवार नहीं हो जाती है, तब तक हम शुतुरमुर्ग की तरह अपनी चोंच रेत में घुसेड़े रहते हैं। इन दिनों दिल्ली एनसीआर सहित हरियाणा के जिलों में वायु गुणवत्ता सूचकांक काफी ऊंचे स्तर पर पहुंच चुका है, लेकिन इस स्थिति से बचने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। उत्तर भारत में रहने वाला आम नागरिक भी यह बात जानता है कि दिवाली के बाद प्रदूषण हर हालत में बढ़ जाता है। पटाखों और पराली को जलाने से रोकने का हर संभव प्रयास करने के बावजूद हालात बदतर ही रहते हैं।
इसके बावदू प्रशासन वायु प्रदूषण रोकने की कवायद तब शुरू करता है, जब हालात बेकाबू हो चुके होते हैं। कल से ही दिल्ली एनसीआर में हरियाणा के पुराने डीजल वाहनों का प्रवेश निषेध किया गया है। कहने को तो यह फरमान जारी कर दिया गया, लेकिन बार्डर पर इतनी सख्ती नहीं बरती गई जितनी कि जरूरत थी। ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान वन बहुत पहले भी लागू किया जा चुका है, लेकिन इसका उल्लंघन करने वालों पर समुचित कार्रवाई केवल छिटपुट ही की गई।
नतीजा यह हुआ कि आज हालात काफी बदतर हो चुके हैं। हरियाणा में भी कई जिलों की हालत गैस चैंबर जैसी हो गई है। कई जिलों में सुबह से लेकर रात तक स्माग छा जाने की वजह से लोगों का दम घुट रहा है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ भी होता नहीं दिखाई दे रहा है। स्माग की वजह से लोगों की आंखों में जलन हो रही है, आंखों से पानी गिर रहा है। कुछ मामलो में तो यह भी देखने को मिला है कि स्माग के चलते कई लोगों की आंखों की रोशनी तक चली गई है। चिकित्सक बताते हैं कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि स्मॉग के चलते कार्निया पर प्रदूषित कण जमा हो जाते हैं जिसकी वजह से आंख खराब हो जाती है। पिछले कुछ दिनों से हरियाणा में दमा रोगियों की संख्या में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हो रही है।
इसके साथ ही स्किन रोग भी लोगों में बढ़ता जा रहा है। यदि प्रदूषण पर जल्दी ही काबू नहीं पाया गया, तो हालात और बिगड़ सकते हैं। शनिवार को प्रदेश के लगभग सभी जिलों में पूरा दिन स्मॉग छाया रहा जिसकी वजह से लोगों को काफी परेशानी हुई। रोहतक, सोनीपत, गुरुग्राम, नारनौल और फरीदाबाद जैसे शहरों का हाल तो बहुत बुरा रहा। इन शहरों में 389 से लेकर 200 के बीच एयर क्वालिटी इंडेक्स रहा। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हरियाणा में किस कदर वायु प्रदूषण फैला हुआ है।
हरियाणा और दिल्ली सरकार को चाहिए कि वह जल्दी से जल्दी ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान को सख्ती से लागू करे। यदि कोई ग्रेप का उल्लंघन करता पाया जाए तो उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करे। इतना ही नहीं, समस्या पैदा होने से पहले ही सरकार कदम उठाए, ऐसे हालात पैदा ही न हों।
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