Friday, November 28, 2025

विज्ञान ने किसी का दुख कम तो किया

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

माइक्रोबॉयलॉजी के जनक कहे जाने वाले लुई पाश्चर का जन्म 27 दिसंबर 1822 को फ्रांस में हुआ था। पाश्चर ने चिकित्सा विज्ञान में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है। रेबीज का टीका विकसित करने का श्रेय भी लुई पाश्चर को ही जाता है। पाश्चराइजेशन की प्रक्रिया की शुरुआत भी उन्होंने ही की थी। पाश्चर को वैज्ञानिक उपलब्धियों के लिए फ्रांस का सबसे बड़ा लीजन आफ ऑनर दिया गया। 

पाश्चर एक अच्छे चित्रकार भी थे। उन्होंने पंद्रह साल की उम्र में अपने माता-पिता का एक चित्र बनाया था जो आज भी संग्रहालय में रखा हुआ है। एक बार की बात है। वह अपने शोध के सिलसिले में एक गांव में गए। उस गांव के लोग जादू-टोना पर विश्वास करने वाले थे। गांव में कुछ भी होता था, तो लोग यही समझते थे कि किसी ने उन पर या उनके पशु पर जादू-टोना किया है। 

उस गांव में एक किसान का बैल बीमार था। किसान ने लुई पाश्चर को अपना बैल दिखाते हुए कहा कि किसी ने इस बैल पर जादू-टोना कर दिया है जिसकी वजह से यह बीमार है। लुई पाश्चर उस बैल को देखते ही जान गए कि बैल को जीवाणु ने बीमार कर दिया है। उन्होंने उस किसान को समझाते हुए कहा कि तुम्हारे बैल को जीवाणु ने पीड़ित कर रखा है। गांव वाले और वह किसान यह बात सुनकर आश्चर्य में पड़ गए। लुई पाश्चर ने कई घंटों की मेहनत से दवा और साफ-सफाई का तरीका बताकर उस  पशु को ठीक कर दिया। 

किसान ने बाद में पाश्चर के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आपने मेरी आजीविका बचा ली। इसका उपकार कैसे चुका सकता हूं। पाश्चर ने मुस्कुराते हुए कहा कि मेरे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार यही है कि विज्ञान ने किसी का दुख कम तो किया। इसके बाद गांव वालों की सोच बदल गई।

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