हरियाणा में ग्रेप तीन लागू कर दिया गया है। दिल्ली एनसीआर में इस सीजन में पहली बार मंगलवार को वायु गुणवत्ता गंभीर स्थिति में पहुंच गई। एक्यूआई पहली बार 400 के पार गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक 11 नवंबर को दिल्ली का 24 घंटे का औसत एक्यूआई 428 दर्ज किया गया था। इस स्थिति से थोड़ा कम खराब हालत हरियाणा में भी रहा। हरियाणा में पिछले कुछ दिनों से लोग ताजी हवा को तरस रहे हैं। वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो चुकी है कि लोगों का सांस लेना दूभर हो रहा है।
इसका प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा पड़ रहा है। दमा, हृदय रोग और त्वचा से संबंधित बीमारियों के मरीज अस्पताल में बढ़ते जा रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में मरीजों की तादाद बढ़ती जा रही है। यही हाल निजी अस्पतालों का भी है। इसके बावजूद खुलेआम कूड़ा करकट जलाना जारी है। हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर में ग्रेप तीन लागू होने के बावजूद नियमों का उल्लंघन जारी है। प्रतिबंध होने के बावजूद पेंटिंग, पॉलिशिंग और वानिशिंग के काम जारी हैं। यही नहीं, प्रदेश में निर्माण कार्य भी जारी हैं।
पुराने मकानों को गिराने के बाद जमा हुए मलबे को भी खुलेआम ढोया जा रहा है। धूल पैदा करने वाले सामान अर्थात सीमेंट, मिट्टी, राख, ईंट, बालू और पत्थर आदि भी लोड और अनलोड किए जा रहे हैं। पानी की नई लाइन बिछाने, सीवर लाइन डालने और जमीन के अंदर केबिल बिछाने का काम भी कहीं कहीं पर हो रहा है। इसका नतीजा यह हो रहा है कि प्रदेश के लगभग सभी जिलों में वातावरण में धूल और धुआं फैला हुआ है। इसके चलते लोगों को सांस घुटती हुई सी प्रतीत हो रही है।
इसके बावजूद स्थानीय निकाय के कर्मचारी और अधिकारी कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। अगर ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान लागू होने के बाद भी गुरुग्राम में एक्यूआई378, मानेसर का 342 और ग्वाल पहाड़ी का 400 दर्ज किया जाए, तो हालात की गंभीरता को समझा जा सकता है। कई जिलों में तो लोग दिन की जगह रात में कूड़ा जला रहे हैं। दिन में सड़कों या दूसरी जगह पर कूड़ा करकट फेंकने के बाद जब ज्यादा कूड़ा इकट्ठा हो जाता है, तो रात में चुपके से आग लगा दी जाती है।
आग की सूचना पाने के बाद दमकल पहुंच कर आग बुझाती है। इसके बावजूद लोगों की समझ में यह बात नहीं आ रही है कि यदि हरियाणा की हवा में सुधार नहीं हुआ, तो हालात और भी बदतर होने की आशंका है। इस स्थिति से बचने के लिए जरूरी है कि वायु प्रदूषण को कम करने का प्रयास सामूहिक स्तर पर किया जाए। यदि लोग सार्वजनिक वाहनों का उपयोग करना शुरू कर दें, तो निजी वाहनों से निकलने धुएं को कम किया जा सकता है। हरियाणा में वाहनों की एक अच्छी खासी संख्या है। यदि कुछ समय के लिए कम से कम निजी वाहनों का उपयोग किया जाए, तो हालात पर काबू पाए जा सकते हैं। तभी प्रदेश का वातावरण भी सांस लेने लायक होगा।
No comments:
Post a Comment