Monday, November 17, 2025

समस्याओं के बीच जीवन बिताना सीखो

बोधिवृक्ष

अशोक मिश्र

जीवन में समस्याएं हमेशा बनी ही रहेंगी। कभी कम और कभी ज्यादा। समस्याओं से रहित किसी का जीवन नहीं होता है। किसी शहर में एक आदमी था। वह अपने जीवन से बहुत परेशान था। कोई न कोई समस्या उसे घेरे ही रहती थी। एक दिन उसने सुना कि शहर में कोई साधु आए हैं जो लोगों की समस्याओं का हल बताते हैं। एक दिन वह रविवार को साधु से मिलने गया। 

काफी देर बाद उसका नंबर आया। उसने साधु से अपनी समस्या बताते हुए कहा कि उसे हर समय समस्याएं घेरे रहती हैं। घर में परेशानी, आफिस में परेशानी, कभी पत्नी बीमार, तो कभी दूसरी तरह की परेशानियां। मैं इन परेशानियों से काफी थक गया हूं। महाराज, बताइए क्या करूं। साधु ने उसकी बातों को काफी गौर से सुना। कुछ देर बाद साधु बोले कि मैं तुम्हारी समस्या का निदान कल बताऊंगा, लेकिन तुम्हें आज मेरा एक काम करना होगा। वह आदमी तैयार हो गया। 

साधु उसे बाहर ले गया जहां काफी ऊंट बंधे थे। साधु ने उस आदमी से कहा कि तुम्हें इन सौ ऊंटों की रखवाली करनी है। जब यह सभी ऊंट बैठ जाएं, तो तुम सो जाना। सुबह होने पर साधु उस जगह पहुंचा और उस आदमी से कहा कि तुम्हें तो अच्छी नींद आई होगी। उस आदमी ने कहा कि मैं तो रात भर सो ही नहीं पाया। कुछ ऊंट तो रात होते ही बैठ गए। कुछ को मैंने बैठा दिया, लेकिन सभी ऊंट तो कभी नहीं बैठे। 

कोई बैठ जाता था, तो कोई उठ जाता था। यह सुनकर साधु ने कहा कि समस्याएं भी ऐसी ही हैं। कभी थोड़ी रहती हैं, तो कभी ज्यादा। इन्हीं समस्याओं के बीच जीवन बिताना सीखो। समस्याओं का निदान है, लेकिन खात्मा नहीं है। यह सुनकर वह आदमी समझ गया कि जीवन रहते समस्याओं से मुक्ति नहीं मिलने वाली है।

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