अशोक मिश्र
जनवरी 2025 में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं जनकल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने सौ दिन में टीबी उन्मूलन कार्यक्रम चलाकर देश से टीबी को ख्तम करने की बात कही थी। सौ दिन में टीबी उन्मूलन का देशव्यापी अ्भियान तो जरूर चला, लेकिन टीबी उन्मूलन नहीं हो पाया। यह कार्यक्रम अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाया।
वैसे भी विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देशानुसार भारत ने इस साल के अंत तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा है, लेकिन जब एक महीने चौबीस-पच्चीस दिन ही लक्ष्य प्राप्ति के बचे हैं, ऐसी हालत में यह लक्ष्य हासिल होता नहीं दिखाई दे रहा है। टीबी यानी ट्यूबरकुलोसिस अर्थात तपेदिक को चार-पांच दशक पहले जानलेवा रोग माना जाता था। इसका इलाज नहीं था। आज इसका सफल इलाज है, लेकिन यदि समुचित इलाज न किया जाए तो यह आज भी जानलेवा है।
हरियाणा में टीबी के संबंध में जो आंकड़े अभी हाल में सामने आए हैं, वह चिंताजनक है। प्रदेश में लगातार टीबी के मरीज बढ़ रहे हैं। निक्षय पोर्टल का ताजा आंकड़ा बताता है कि सात दिसंबर 2024 से 19 अक्टूबर 2025 के बीच हरियाणा में क्षय रोग के 43, 879 नए मरीज पाए गए हैं। यह आंकड़ा यह बताने के लिए पर्याप्त है कि दिसंबर तक क्षय रोग से देश को मुक्ति नहीं मिलने वाली है। हरियाणा में पाए गए नए रोगियों में सबसे ज्यादा फरीदाबाद में पाए गए हैं। इसके बाद गुरुग्राम दूसरे, पानीपत तीसरे, रोहतक चौथे और नूंह पांचवें स्थान पर हैं। पिछले साल 7 दिसंबर 2024 से केंद्र सरकार ने सौ दिन में पूरे देश को टीबी मुक्त करने का अभियान चलाया था।
यह अभियान हरियाणा में भी चला था। बड़े पैमाने पर लोगों की जांच की गई थी। अभी हाल में ही पूरे प्रदेश में 6,39,977 असुरक्षित लोगों की टीबी मानीटिरिंग की गई थी। इन लोगों को ट्यूबरकुलोसिस का खतरा था। इनमें से 43,879 लोग टीबी से संक्रमित पाए गए। इस मामले में सबसे चिंताजनक बात यह है कि कुछ लोग अपने रोग को गंभीरता से नहीं लेते हैं। नतीजा यह होता है कि जब हालात बिगड़ जाते हैं, तो वह डॉक्टर के पास भागते हैं। तब दवा का हाई डोज उन्हें लेना पड़ता है।
स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने टीबी निवारक उपचार के लिए 1,15,996 लोगों से संपर्क किया, तो 57,583 लोग ही इलाज के लिए तैयार हुए। बाकी लोगों ने इलाज कराने से इनकार कर दिया। जिन लोगों ने अपना इलाज कराने से इनकार कर दिया है, वह लोग अपने आसपास रहने वाले लोगों के लिए खतरा हैं। उनके यहां वहां थूकने से उस थूक के संपर्क में आने वाले लोगों के भी टीबी से संक्रमित होने का खतरा है। दूसरे राज्यों के वह रोगी जो अपना इलाज पूरा नहीं करवाते हैं और अपने राज्य लौट जाते हैं, वह भी लोगों के लिए खतरा साबित होते हैं। हरियाणा सरकार को ऐसे रोगियों पर निगाह रखने के लिए संबंधित राज्य से संपर्क करना चाहिए।
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