अशोक मिश्र
कुछ लोगों के पास बहुत अधिक धन-संपत्ति होती है, लेकिन वह उतने से संतुष्ट नहीं रहते हैं। अधिक की लालसा में वह दिन-रात चैन से नहीं बैठते हैं। भले ही इसके लिए किसी का खून ही क्यों न बहाना पड़े। कुछ लोगों को प्रसिद्धि की भूख होती है, तो किसी धन दौलत की। इस संबंध में एक रोचक प्रसंग है। किसी जगह पर एक संत रहते थे। उन्होंने एक आश्रम खोल रखा था, जहां वह बच्चों को शिक्षा दिया करते थे।
उनके ज्ञान की चर्चा चारों ओर होती थी। एक बार वह अपने दो शिष्यों के साथ भ्रमण पर निकले। काफी दिनों तक भ्रमण करने के बाद वह एक ऐसी जगह पर पहुंचे, जहां का वातावरण काफी शांत और चारों ओर हरियाली फैली हुई थी। संत ने अपने शिष्यों से कहा कि कुछ दिन यहीं रहा जाएगा। एक दिन संत अपने शिष्यों के साथ भिक्षा मांगने निकले। रास्ते में उन्हें एक सिक्का पड़ा दिखाई दिया।
संत ने उस सिक्के को झट से उठाकर झोले में डाल लिया और बोले, इसे किसी योग्य पात्र को दे दूंगा। उनके एक शिष्य ने सिक्का देखकर सोचा कि यदि यह मुझे मिलता, तो मैं बाजार में जाकर मिठाई खाता। इस बात को कई दिन बीत गए। शिष्यों ने सोचा कि गुरु जी के मन में लालच आ गया है। लेकिन कुछ बोले नहीं। तभी संत ने किसी से सुना कि उस राज्य का राजा पड़ोसी राज्य पर हमला करने जा रहा है।
संत ने अपने शिष्यों से कहा कि अब यहां रहने लायक नहीं है। तीन वहां चल पड़े। रास्ते में देखा कि सामने राजा की सवारी चली आ रही है। संत को देखकर मंत्री ने राजा से कहा कि यह ज्ञानी संत हैं। संत ने अपने झोले से सिक्का निकाला और राजा की हथेली पर रखते हुए कहा कि आपके पास इतनी दौलत है, लेकिन दूसरे राज्य को लूटने जा रहे हैं। मेरी समझ से आप सबसे बड़े दरिद्र हैं। यह सिक्का भी रख लीजिए। संत की बात सुनकर राजा समझ गया कि संत क्या चाहते हैं। वह वहीं से अपने राज्य में लौट गए।
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