घटता लिंगानुपात हरियाणा की बहुत बड़ी समस्या है। लड़का-लड़की के अनुपात के मामले में हरियाणा बहुत पहले से ही पिछड़ा रहा है। ऐसा नहीं है कि केवल हरियाणा में ही यह समस्या रही है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान जैसे तमाम राज्य इस समस्या से जूझते रहे हैं। इन राज्यों में आज भी लड़कियों की जन्मदर में भले ही थोड़ा बहुत सुधार हुआ हो, लेकिन संतोषजनक स्तर पर कभी नहीं पहुंच पाया है। हरियाणा सरकार पिछले कई दशक से लिंगानुपात को सुधारने का प्रयास करती आ रही है।
सैनी सरकार ने इस मामले में काफी सख्ती बरती है जिसकी वजह से कुछ जिलों में स्थिति में सुधार भी आया है, लेकिन कुछ जिलों में स्थिति संतोषजनक नहीं है। अभी हाल ही में चार जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ) और तीन वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों (एसएमओ) को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। चरखी दादरी के गोपी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के एसएमओ को खराब लिंगानुपात के लिए आरोप पत्र जारी किया गया है।
हरियाणा ने काफी प्रयास करके ‘कुड़ीमार’ प्रदेश होने के कलंक से मुक्ति पाई है। नहीं तो सदियों से हरियाणा और राजस्थान में लड़कियों को पैदा होते ही मार देने के चलन था। इसकी वजह से सदियों तक इन इलाकों में लड़कियों की भारी कमी रही है। इसके चलते प्रदेश के अच्छी खासी संख्या में युवा कुंवारे ही रहने को मजबूर हुए। कुछ लोग दूसरे राज्यों की लड़कियों से विवाह करते रहे हैं। दो दिन पहले लिगानुपात सुधार के लिए गठित की गई राज्य टास्क फोर्स की समीक्षा बैठक में बताया गया कि फतेहाबाद, गुरुग्राम, पंचकूला, पानीपत और रेवाड़ी में लिंगानुपात में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, जबकि सिरसा, सोनीपत और चरखी दादरी में गिरावट देखी गई है।
वहीं फतेहाबाद, गुरुग्राम, पंचकूला, पानीपत और रेवाड़ी में लिंगानुपात की स्थिति संतोषजनक पाई गई है। राज्य में पहली जनवरी से 10 नवंबर तक लिंगानुपात 912 दर्ज किया गया है, जो पिछले वर्ष इसी अवधि में 904 था। राज्य में गिरते लिंगानुपात को सुधारने के लिए सबसे पहले तो अवैध अल्ट्रासाउंड और गर्भपात केंद्रों को बंद कराना होगा। हालांकि प्रदेश सरकार ने हर गर्भवती महिला का पंजीकरण अनिवार्य कर रखा है।
इसके बावजूद एक अच्छी खासी संख्या में महिलाएं कन्याभ्रूण की जांच करवाकर अवैध रूप से संचालित गर्भपात केंद्रों पर जाकर कन्या भ्रूण से छुटकारा पा रही हैं। यही नहीं, हरियाणा के पड़ोसी राज्यों में भी महिलाएं गर्भपात करा रही हैं। राज्य के लगभग हर जिले में इन अवैध गर्भपात केंद्रों के दलाल फैले हुए हैं। यह अपने इलाके में गर्भवती महिलाओं से संपर्क करके उन्हें कन्या भ्रूण की जांच कराने का लालच देते हैं। यदि जांच के बाद भ्रूण कन्या निकलती है, तो उसे जन्म लेने से पहले ही मार दिया जाता है। यही वजह है कि सरकार अपने सभी प्रयास के बावजूद सफल नहीं हो पा रही है।
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